अनफेयर एंड लवली : गोरेपन की सनक का जवाब

यह बेहद खेदजनक था जब बजट पेश करते हुए भारत के वित्तमंत्री अरुण जेटली  ने अवैध धन के लिए  ( जिसे काला धन कहा जाता है ) के ‘फेयर एंड लवली योजना’ की घोषणा की. यह दिन और घोषणा इसलिए दुखद है कि सरकार की ऐसी योजना के साथ ‘स्टेट’ की निरपेक्ष और प्रगतिशील भूमिका हमेशा -हमेशा के लिए प्रश्नांकित हो जाता है . यह घोषणा और यह योजना नस्लवादी , स्त्रीविरोधी और घोर मर्दवादी भी है .

सरकार और उसके वित्तमंत्री को एक कैम्पेन से सीखना चाहिए , जो इस ग्रंथि के खिलाफ ‘ अनफेयर एंड लवली’ नाम से सोशल मीडिया पर चालाया जा रहा है . यह कैम्पेन हाल ही में टेक्सास विश्वविद्यालय, ऑस्टिन के  तीन विद्यार्थियों ने शुरू किया है, जो दुनिया भर में लोकप्रिय हो रहा है . ‘हां, हम खूबसूरत हैं, क्योंकि हम सांवले हैं’ स्लोगन के साथ यह कैम्पेन भारत में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है.

यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के 21 साल के छात्र पॉक्स जोन्स ने बताया कि उन्होंने अपनी दो दोस्तों की कहानी सुनकर यह कैम्पेन शुरू किया।  उन्होंने बताया कि दरअसल, ‘ मेरी दोस्त मिरुशा और यानुशा श्रीलंका की हैं। मैं जब उनकी फोटो क्लिक कर रहा था, तब उन्होंने बताया था कि कैसे उनके रंग को लेकर गंदे कमेंट किए जाते थे।   इसके बाद मैंने उनकी फोटो खींची और उसके नीचे दोनों बहनों ने लिखा- ‘रंगभेद सामाजिक बुराई है।’
उनकी फोटो सोशल मीडिया पर डाली और देखते ही देखते सांवले रंग की महिलाएं जुड़ने लगीं।  इसके बाद हम तीनों ने सोशल मीडिया पर हैशटैग ‘अनफेयर एंड लवली’ कैम्पेन शुरू कर दिया। पॉक्स कहते हैं, “यह सांवली महिलाओं के लिए साझा मंच है, जिसका मकसद स्किन कलर को लेकर होने वाला भेदभाव खत्म करना है।”

टेक्सास  की  तमिल विद्यार्थी मिरुशा और यानुशा
इसके साथ ही यह कैम्पेन सोशल मीडिया में चल पडा. हजारो महिलाओं ने अपनी सेल्फी और तस्वीरें फेसबुक और ट्विटर पर जारी करना शुरू किया है .
स्त्रीकाल में पत्रकार इति शरण का गोरे  रंग के प्रति ‘वहशी लगाव ‘ के  प्रसंग में एक लेख कुछ दिनों पहले प्रकाशित हुआ था . पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें :

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