पितृसत्ता पर सबसे पहला मुक्का ऑप्रेस्ड कम्युनिटी की महिलाओं ने मारा है: सोनपिम्प्ले राहुल पुनाराम

जेएनयू छात्र संघ चुनाव में ‘बापसा’ (बिरसा-फूले-अम्बेडकर स्टूडेंट एसोसिएशन) सोनपिम्प्ले राहुल पुनाराम के नेतृत्व में लीड लेता दिख रहा है. समाज के हाशिये से  आने वाले प्रखर व्यक्तिव के साथ लोकप्रिय छात्र नेता के रूप में उभरे राहुल के एक भाषण पर आधारित चंद्रसेन की रपट 

जाति-जेंडर तथा वर्ग पर आधारित शोषण भारतीय या यूँ कहें कि पूरे दक्षिण-एशियाई मुल्कों की खास विशेषता रही है .मजेदार बात तो यह है कि ऐतिहासिक रूप से न तो बुद्धिजीवियों  ने और न ही किसी तथाकथित राष्ट्रीय नेता ने इसे चिन्हित किया.भारतीय समाज में पहली बार फूले दम्पति ने अपनी विचारधारा, आंदोलन और व्यक्तिगत जीवन में इन सवालों को सबके सामने लाए  आगे चलकर आंबेडकर के आंदालनों, लेखनी, और हिन्दू कोडबिल जैसे पालिसी लेवल के मसविदों ने इन मुद्दों  को और गंभीरता तथा मुखरता से आगे बढ़ाया. फूले-आंबेडकरकरवादी  विचारधारा से लैश होकर ‘दलित नारीवाद’ तक बहस आज पहुँच चुकी है .आज हम इस बात को आसानी से समझ सकतें हैं कि किस तरह से दलित स्त्रियां तीहरे शोषण-जातीय, वर्गीय, और मर्दवाद का शिकार हैं.

मतदान करती छात्राएं

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय हमेशा से ही आरएसएस और शासक वर्ग के आंख की किरकिरी रहा है .कुछ दिनों पहले राष्ट्रवाद और देशद्रोह के नाम से इस संस्था को ‘शट डाउन’ मुहिम का शिकार होना पड़ा. लेकिन समानता और जेंडर जस्टिस की राजनीति, उसके मूल्यों को जीने वाले इस कैंपस में रेप की घटना ने फिर से सबको इस संस्था की ओर उगली उठाने को मौका दे दिया है.और जब आरोपी खुद वामपंथ से जुड़ा हो तो मामला और भी पेचीदा हो जाता है .पूरा जेनयू आज पीड़िता के साथ है और यही इस संस्था की खूबी भी रही है .
इस पूरे माहौल में छात्र संघ चुनाव हो रहें हैं .९ सितंबर को दिल्ली विश्वविद्यालय के साथ ही जेनयू का भी चुनाव है.एक तरफ जातिवादी-फासिस्ट ताकतें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के नेतृत्व में अपने एजेंडे के साथ हैं . वहीँ दूसरी तरफ लेफ्ट फ्रंट अपने आधी -अधूरी यूनिटी के साथ .चुनावी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है लेकिन ये दोनों पार्टियां लगभग एक दूसरे को सामने रख कर चुनाव लड़ रहीं हैं .

हमेशा की तरह इस बार भी  कैंपस में राईट-लेफ्ट की बाइनरी में चुनाव लड़ने की कोशिश की जा रही रही है .क्या हर मुद्दे को बाइनरी में देखा जाना सही है ? या यह कोई साजिश है. इस बाइनरी को ध्वस्त करने और ‘ऑप्रेस्ड  यूनिटी’ के नारे के साथ ‘बापसा’ (बिरसा-फूले-अम्बेडकर स्टूडेंट एसोसिएशन) संगठन सोनपिम्प्ले राहुल पुनाराम के नेतृत्व में आगे बढ़ रहा है. एक साल पुराने इस संगठन ने अपने शुभचिंतकों और आम छात्रों के साथ एक सभा की .उस सभा में उमड़ी भीड़ से उत्साहित ‘बापसा ‘के लोग अपनी बात लोगों के बीच ले जाने में सफल रहे .यदि हम राहुल के भाषण को ध्यान से सुनें  तो पाते हैं कि इस संगठन की राजनीति काफी व्यापक है .वह अपने भाषण में इस बात पर जोर देता है की दुनिया के सारे ऑप्रेस्ड  लोगों के अनुभव को हम सुनेगे क्योंकि उनके अनुभव हमेशा से शासक वर्ग से अलग रहें हैं.

इन्डियन एक्सप्रेस में राहुल



अध्यक्षयीय प्रत्याशी, राहुल इस अंदाज में खुद के अनुभवों को जनता के सामने बाटते नजर आए. उत्तर नागपुर के झोपड़पट्टी  में पले–बढ़े राहुल का जीवन संघर्षों का रहा है .माँ ईंट-भट्टे में दिहाड़ी मजदूर और पिता रिक्शा-पुलर रहे हैं.उनके अनुसार ‘जब से मैंने होश संभाला है पिता को बीमारी के कारण बिस्तर पर ही पाया है.उन्होंने  मुझे बताया कि  ईश्वर का कोई अस्तित्व नहीं होता है.तथा उन्होंने मेरा नाम गौतम बुद्ध के पुत्र ‘राहुल’ पर रखा’ पितृसत्तात्म समाज की सच्चाई को स्वीकार करते हुए राहुल कहतें है कि हमारा समाज हमें कितना मर्दवादी बनाता है. हमें महिलाओं के अनुभव को तरजीह देनी पड़ेगी.महिलाओं के हर तरह के शोषण को हमें स्वीकार करना होगा. जेंडर के सवाल को व्यापकता में समझाते हुए राहुल अपील करतें हैं कि हमें ‘मेल’ और ‘फीमेल’ की बाइनरी को भी तोड़ना है .ट्रांसजेंडर, गे-लेस्बियन के अधिकारों की लड़ाई को और तेज करना है. लेकिन साथ ही साथ यह भी जोड़ा कि ‘इस पितृसत्ता पर पहला ऑप्रेस्ड -कम्युनिटी की महिलाओं ने ही मारा है’


अपने संगठन के वैचारिक दायरे को दुनिया के सारे ऑप्रेस्ड -समुदाय के साथ जोड़ते हुए  नागपुर के इस नौजवान ने सभी दमित तबकों को, पहचानों को एक मंच पर आने का आह्वान दिया .‘जे एन यू  और देश में रोहित वेमुला के आंदोलन और ऊना  तक जो एकता दलितों, आदिवासियों,पिछड़ों, मुसलमानो और महिलाओं की बनी है उससे शासक-वर्ग डर गया है .इस एकता को इस संस्था में भी बनाना जरूरी है, जिससे राईट विंग के ब्राह्मणवादी फासिस्म और लेफ्ट की  अवसरवादिता को ख़तम किया जा सके’नार्थ-ईस्ट में हो रहे दमन, नस्लीय  भेदभाव की भी जोरदार भर्त्षणा की.हाल ही में जेनयू प्रसाशन द्वारा  एक डोसियर पास किया गया था. जिसमे कहा गया कि दलित-आदिवासी, मुसलमान, नार्थ-ईस्ट के लोग एंटी-नेशनल हैं.डोसियर में इन तबके की महिलाओं पर सेक्स रैकेट चलने का जो महिला-विरोधी और सेक्सिस्ट रिमार्क दिया गया उसकी खिलाफत की तथा ऐसे प्रोफेसरों को कड़ा दंड दिलाने का वादा भी किया. कश्मीर जैसे ज्वलंत मुद्दे पर भी अपना स्पष्ट मत रखने से राहुल नहीं चूके. राहुल के शब्दों में ‘हम बाबासाहब की उस बात पर यकीन रखते हैं कि जल्द से जल्द कश्मीर में प्लेबिसाइट होना चाहिए.’

राहुल ने विश्वविद्यालय में लंबे दौर से काबिज रहे मार्क्सवादी संगठनों की जोरदार खिंचाई भी की .‘आरक्षण से लेकर, हॉस्टल, स्वास्थ्य-सुविधाएँ, गैर-अंग्रेजी माध्यम से आए छात्रों के साथ भेदभाव, वाइवा में वंचित समुदाय के साथ भेदभाव पर लेफ्ट ने सिर्फ जुमले-बाजी की है.’ नारी-स्वतंत्रता और प्रतिनिधित्व के सवाल पर लेफ्ट एक्टिविस्ट कविता कृष्णन पर भी तंज कसा कि ‘ऐसी कौन सी बात है की उनकी पार्टी में झंडे ढ़ोने वाली, रणवीर सेना के हांथों शिकार होने वाली किसी मुसहर लड़की को वह स्थान नहीं मिला, जहाँ आज उनकी तथाकथित नेता है.’ऐसी वो कौन सी बात है जो कविता कृष्णन बोल सकती है तथा एक मुसहर लड़की नहीं बोल सकती ?’ सोनपिम्प्ले अपने वक्तव्य में कहते हैं कि ‘मैं  मार्क्स को इसलिए पसंद करता हूँ क्योंकि मार्क्स ने एक विश्लेषण दिया है कि कैसे दुनिया के शासक वचिंत समुदाय के संघर्षों को तोड़-तोड़ कर उनकी एकता को ख़तम कर दिया है .मैं ग्राम्सी को इसलिए पसंद करता हूँ क्योंकि ग्राम्सी ने बताया की ‘ऑर्गेनिक इंटेलेक्चुअल’ कौन होते हैं.’

बापसा पैनल

गुलामी की दासता से पीड़ित रहे एफ्रो-अमेरिकन क्रांतिकारी मैल्कम एक्स को याद करते हुए इस समाजशास्त्र  के स्कालर ने कहा कि ‘जब तक पीड़ित अपनी लड़ाई खुद नहीं लड़ेंगे उन्हें मुक्ति नहीं मिल सकती.’ डॉ आंबेडकर और ‘एनिहिलेशन ऑफ़ कास्ट’ को उदृत करते हुए बापसा के इस अध्यक्षीय प्रत्याशी ने कहा की ‘ब्राह्मणवाद और पूँजीवाद हमारे दो शत्रु हैं.’ देश में बढ़ते  कारपोरेटीकरण और नवउदारीकरण की नीतियों की ओर उनका स्पष्ट इशारा था.अंत में अपने तीन अन्य प्रत्याशियों-बंशीधर दीप (वाइस प्रेसीडेंट), पल्लिकोण्डा मनीकांता (जनरल सेक्रेटरी), आरती रानी प्रजापति (जॉइंट सेक्रेटरी) का समर्थन मांगते  हुए ओप्रेसड यूनिटी को बनाए रखने की अपील की.


 चंद्रसेन ( शोध छात्र, अंतररा ष्ट्रीय अध्ययन संस्थान, जेनयू नई  दिल्ली, सम्पर्क : 9540749466 )

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