बामसेफ की उपाध्यक्ष मनीषा बांगर न सिर्फ देश में बल्कि दुनिया भर के बहुजनों के बीच बहुजन-क्रान्ति का बिगुल बजा रही हैं. पिछले दिनों वे यूनाइटेड स्टेटस की एक माह की यात्रा पर थीं. बताती हैं कि वे कई सालों से अमेरिका, यूरोप के देशों में बहुजन सन्देश के लिए यात्रा करती रही हैं. पेशे से गेस्ट्रोएंटेरोलाजिस्ट और डेक्कन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साईसिंस, हैदराबाद में एसोसिएट प्रोफेसर मनीषा ने इस नीवनतम यात्रा के दौरान केलीफोर्निया विश्वविद्यालय, ब्रांडिएस विश्वविद्यालय, डेविस व ओहलान कालेज आदि जगहों पर विभिन्न विषयों पर व्याख्यान दिए. इस दौरान उन्होंने यह स्पष्ट किया कि ‘हिन्दू जाति व्यवस्था और भारत में व्याप्त गरीबी के बीच सीधा संबंध है’. उन्होंने धार्मिक अल्पसंख्यकों , जैसे मुस्लिम, इसाई, बौद्ध, सिक्ख सहित भारत के मूलनिवासियों के हालात के लिए न सिर्फ हिन्दू व्यवस्था को जिम्मेवार ठहराया, बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि भारतीय जनता पार्टी के शासन में आने से इन सभी समुदायों के खिलाफ हिंसा बढ़ी हैं.
बहुजन आंदोलन को समर्पित शख्सियत
हिन्दू गौरव के लिए यात्रा करने वाले विवेकानंद आदि अतीत हो गये, अब मनीषा बांगर जैसी विदुषियाँ पशिचिमी देशों को यहाँ की बदहाली और हिन्दू धर्म के संबंध पर जरूरी सन्देश दे रही हैं. यह सन्देश कई अर्थों में जरूरी और प्रासंगिक है. विवेकांनंद फाउंडेशन के करीबी प्रधानमंत्री के समय में भगवा-उत्साह के अतिरेक को देश-दुनिया देख रही है . ऐसे में यथार्थ से परिचित कराती मनीषा का उचित सम्मान मेंटेका, केलीफोर्निया के मेयर गैरी सिंह द्वारा किया गया और ‘ग्लोबल बहुजन अवार्ड’ प्रदान किया गया. इस अवसर पर उन्हें प्रदत्त अभिनंदन पत्र के अनुसार, ‘ पददलितों के उत्थान और दमितों की रक्षा के लिए इनके द्वारा किए गए प्रशंसनीय कार्य और भारत में स्वतंत्रता के कारवां को आगे ले जाने के लिए’ उन्हें यह सम्मान दिया गया.
एक महीने की अपनी अमेरिका यात्रा में उन्होंने जनसमूहों को विभिन्न कार्यक्रमों में संबोधित किया. मनीषा ने अपने संबोधन में कहा कि ‘अवसरों की समानता के बगैर, प्रजातंत्र का कोई अर्थ नहीं है. परंतु भारत में स्वशासन के सत्तर वर्ष बाद भी जाति प्रथा के कारण, मूलनिवासियों को उनका यह मूलाधिकार नहीं मिल सका है.’ उनकी इस यात्रा का प्रायोजन भीमराव अम्बेडकर सिक्ख फाउन्डेशन ने किया था. फाउंडेशन के संस्थापक भजन सिंह ने कहा, ‘हम भारत के लोगों की समृद्धि के प्रति डाॅ बांगर की अटूट प्रतिबद्धता के कायल हैं. उन्होंने न्याय, समानता और बंधुत्व की स्थापना के लिए वैश्विक स्तर पर जो कार्य किया है, वह प्रशंसनीय और प्रेरक है.’
स्त्रीकाल का संचालन ‘द मार्जिनलाइज्ड’ , ऐन इंस्टिट्यूट फॉर अल्टरनेटिव रिसर्च एंड मीडिया स्टडीज के द्वारा होता है . इसके प्रकशन विभाग द्वारा प्रकाशित किताबें ऑनलाइन खरीदें :
दलित स्त्रीवाद , मेरा कमरा, जाति के प्रश्न पर कबीर
अमेजन पर ऑनलाइन महिषासुर,बहुजन साहित्य,पेरियार के प्रतिनिधि विचार और चिंतन के जनसरोकार सहित अन्य
सभी किताबें उपलब्ध हैं. फ्लिपकार्ट पर भी सारी किताबें उपलब्ध हैं.
दलित स्त्रीवाद किताब ‘द मार्जिनलाइज्ड’ से खरीदने पर विद्यार्थियों के लिए 200 रूपये में उपलब्ध कराई जायेगी.विद्यार्थियों को अपने शिक्षण संस्थान के आईकार्ड की कॉपी आर्डर के साथ उपलब्ध करानी होगी. अन्य किताबें भी ‘द मार्जिनलाइज्ड’ से संपर्क कर खरीदी जा सकती हैं.
संपर्क: राजीव सुमन: 9650164016,themarginalisedpublication@gmail.com