“जहां भी जाएगा, रौशनी लुटाएगा
किसी चिराग का अपना मकां नहीं होता.
बहराइच ट्रांसफर हो गया है, यह नेपाल की सीमा है, चिंतित मत हों दोस्तों मैं खुश हूँ… मैं मानती हूँ कि यह मेरे अच्छे कामों का पुरस्कार है. आप सभी बहराइच आमंत्रित हैं.”
यह फेसबुकपोस्ट है उस महिला पुलिस अधिकारी (सीओ), श्रेष्ठा सिंह, का, जिसे योगी सरकार ने बीजेपी नेताओं को चालान काटने के पुरस्कार स्वरुप बुलन्दशहर से बहराईच भेज दिया. वह आईएएस अधिकारी दुर्गा नागपाल जितनी खुशनसीब नहीं है , जिसे अखिलेश सरकार का कोपभाजन बनना पड़ा था . दुर्गा नागपाल को मीडिया ने खूब कवरेज दी थी, लेकिन योगी-मोदी से अभिभूत मीडिया के लिए श्रेष्ठा दुर्गा नागपाल जैसी क्रांतिकारी नहीं हैं.
उत्तरप्रदेश में 244 अफसरों का ट्रांसफर किया गया है, जिनमें बुलंदशहर के स्याना की सीओ श्रेष्ठा सिंह भी शामिल हैं, जिन्होंने हाल ही में ट्रैफिक नियम तोड़ने के मसले पर स्थानीय बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं की जमकर क्लास लगाई थी. इस घटना का विडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था. अब श्रेष्ठा सिंह का ट्रांसफर किए जाने का मुद्दा भी सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है. खुद श्रेष्ठा ने अपने फेसबुक पेज पर एक टिप्पणी लिखी, जिसके पक्ष-विपक्ष में लोग बंट तो गये हैं, लेकिन एक छोर से दूसरे छोर पर ठाकुर का तबदाला कुछ तो सन्देश है, मसलन बीजेपी नेताओं को अधिकारी अबध्य मानें. इसके पहले भी थानों पर हमला करने वाले या एसएसपी के आवास पर हमला बोलने वाले बीजेपी कार्यकर्ताओं और सांसद पर कभी ठोस कारवाई नहीं हुई, बल्कि पुलिस अधिकारियों का ही तबादला कर योगी एक सन्देश दे रहे हैं.
बीजेपी नेता से टकराव का पूरा मामला क्या था?
23 जून का है, जब बीजेपी की जिला पंचायत सदस्य के पति प्रमोद लोधी बाइक से घर जा रहे थे. चेकिंग के दौरान बाइक के कागज नहीं दिखाने पर पुलिस ने उनका चलान काट दिया और बाइक जब्त कर ली. पुलिस के सामने कथित तौर पर धौंस दिखाने पर आरोपी नेता को अरेस्ट कर लिया गया. इसके बाद बीजेपी समर्थकों ने कोर्ट परिसर में पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और बीजेपी नेता प्रमोद लोधी को पुलिस हिरासत से छुड़ाकर स्याना विधायक देवेंद्र लोधी के चैंबर में लाकर बैठा दिया. काफी देर तक पुलिस और बीजेपी समर्थको में झड़प होती रही. बीजेपी समर्थकों ने कोर्ट परिसर में पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और सीओ श्रेष्ठा सिंह से भिड़ गए. उधर बीजेपी नेता प्रमोद लोधी का आरोप था कि चालान काटने के बाद पुलिसकर्मी ने बाइक की चाबी देने के नाम पर उनसे 500 रुपये की रिश्वत की मांग की थी.
बहस के दौरान श्रेष्ठा ने बीजेपी नेताओं से स्पष्ट कहा था कि वे सीएम योगी आदित्यनाथ से लिखवाकर ले आएं कि पुलिसवाले वाहन चेकिंग नहीं कर सकते, तो हम नहीं करेंगे।
सवाल है कि क्या सीएम योगी ने अपने समर्थकों को इस तबादले से कोई सन्देश दिया है? हालांकि श्रेष्ठा ठाकुर के इरादे बता रहे हैं कि वे इस तबादले से अपनी कार्यशैली को प्रभावित नहीं होने देंगी.