संघियों, यदि आपकी माँ ने ‘फ्री सेक्स’ यानी ‘अपनी स्वतंत्र इच्छा से सेक्स’ नहीं किया है तो उसके दो मायने हैं.
1. आप बलात्कार से पैदा हुए हो
2. या फिर तुम एक सेक्स वर्कर से पैदा हुए हो, जिसने सेक्स पैसे लेकर किये, अपनी इच्छा से और निःशुल्क नहीं.
संघियों अब यह तुम पर निर्भर करता है कि तुम दो में से एक चुन लो या तो कहो कि तुम्हारी माँ ने ‘फ्री सेक्स किया’ या मेरे द्वारा ऊपर बताये गए दो ऑप्शन मान लो. मैं कविता कृष्णन और उसकी बहादुर माँ के साथ हूँ.
यह अच्छा है कि मेरी माँ ने मेरे पिता के साथ ‘फ्री सेक्स’ किया है. और मुझे उनकी बेटी होने पर गर्व है.
‘गौरी लंकेश पत्रिके’ की सम्पादक गौरी लंकेश की हत्या के बाद दक्षिणपंथी उपद्रवियों ने हत्या की जिम्मेवारी तो नहीं ली लेकिन उन्होंने ह्त्या का खूब जश्न मनाया. गौरी लंकेश को गालियाँ दी. उनके संघ विरोधी फेसबुक ट्वीटर पोस्ट खोजकर उनके खिलाफ राय बनाने की कोशिश की जा रही है. इसी क्रम में उपरोक्त फेसबुक पोस्ट भी वायरल किया गया है.
इस जमात को ऐसे मुद्दों को मोड़ने में महारत हासिल है. पहले यह कोशिश की गयी कि गौरी लंकेश की ह्त्या को माओवादियों द्वारा की गयी हत्या कहकर प्रचारित की जाये, लेकिन यह जमात ऐसा इसलिए नहीं कर पाया कि एक ओर तो वह यह कोशिश करते रहे दूसरी ओर ह्त्या का जश्न मनाते रहे. इस तरह यह पहली माओवादी हत्या होती जिसकी खुशी में हिंदुत्व के उपद्रवी समर्थक पटाखे फोड़ रहे हैं. जब उनकी खुशी उनके प्रोपगंडा पर भारी पडी तो अब यह कवायद है.
कवायद की तीर इतनी मारक है कि कल तक जो कुछ संवेदनशील लोग गौरी लंकेश की ह्त्या पर उपद्रवियों के खिलाफ मुखर थे वे इस पोस्ट के साथ आहत हैं. हालांकि इस पोस्ट में आपत्तिजनक कुछ भी नहीं है. इस पोस्ट की पृष्ठभूमि है 2016 में कविता कृष्णन द्वारा लिया गया स्टैंड. जेएनयू में फ्री सेक्स के हिंदुत्ववादियों, भाजपाइयों और संघियों के आरोप में कविता ने ‘फ्री सेक्स’ को कुछ इसी अंदाज में व्याख्यायित किया था, जिसके बंद उपद्रवी ट्रॉल्स उन्हें और उनकी माँ को गालिया दे रहे थे. तब कविता की माँ लक्ष्मी कृष्णन ने भी विस्तृत लेख लिखकर कहा ‘फ्री सेक्स’ को इसी मायने में व्याख्यायित किया था जिस मायने में गौरी लिख रही हैं, बल्कि उन्होंने यह भी कहा था कि वे ‘फ्री सेक्स’ करती हैं.
गौरी लंकेश ने कविता के ट्रॉल्स के जवाब में यह पोस्ट लिखा था.
विचारों के पक्ष में तर्क और कटु तर्कों का सिलसिला न ह्त्या को जायज ठहरा सकता है और न मारे गये व्यक्ति को नरेंद मोदी के समर्थकों द्वारा कुतिया कहा जाना जायज सिद्ध होता है.
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