नवल किशोर कुमार
छत्तीसगढ के कांकेर जिले के पखांजुर थाने में स्थानीय आदिवासी समुदाय के लोगों ने दुर्गापूजा समिति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। इस कारण कांकेर जिले से लेकर छत्तीसगढ़ के शीर्ष पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है।
दरअसल अनुसूचित जाति मोर्चा के कांकेर जिला उपाध्यक्ष लोकेश सोरी ने अपने एफआईआर में कहा है कि महिषासुर अनुसूचित जनजाति के लोगों के पुरखे हैं। पखांजुर थाने परलकोट इलाके में दुर्गा पूजा पंडालों में मूर्तियों में दुर्गा द्वारा उनका वध करते हुए दिखाया गया है।
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उन्होंने कहा है कि पांचवीं अनुसूची क्षेत्र के अनुच्छेद 244(1), अनुच्छेद 13(3) (क), अनुच्छेद 19(5) (6) के प्रावधानों के अनुसार आदिवासियों की भाषा, संस्कृति, पुरखों, देवी-देवताओं के उपर हमले एवं अपमान को अनुचित एवं दंडनीय बताया गया है।
उल्लेखनीय है कि इन्हीं कानूनी प्रावधानों के तहत पिछले वर्ष 12 मार्च 2016 को छत्तीसगढ़ के ही राजनंदगांव जिले के मानपुर थाने में सतीश दूबे नामक एक शख्स के उपर महिषासुर का अपमान करने और आदिवासियों को गाली देने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले में पांच अन्य लोगों को भी अभियुक्त बनाया गया था। इस मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक न्यायादेश में आरोपितों की जमानत याचिका को खारिज किया था। अपने न्यायादेश में अदालत ने महिषासुर के अपमान को आदिवासियों के धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला करार दिया था। और बचाव पक्ष के वकील का दावा खारिज कर दिया था. दुबे पर आरोप था कि उसने उस भीड़ का नेतृत्व किया है जो नारे लगा रही थी कि ‘ महिषासुर के औलादों को जूते मारो सालों को.’
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बहरहाल गुरूवार को कांकेर जिले के पखांजुर थाने में दर्ज कराये गये मामले की पुष्टि करते हुए जिला अधीक्षक एम एल कोटवानी ने फारवर्ड प्रेस को दूरभाष पर बताया कि आरोपितों के बारे में जानकारी खंगाली जा रही है। उनके मोबाइल नंबर के सहारे उनकी खोजकर गिरफ्तार करने की कार्रवाई की जा रही है। वहीं पखांजुर थाने के एसडीओपी शोभराज अग्रवाल ने भी मामले की पुष्टि की है।
लेखक फॉरवर्डप्रेस के हिन्दी सम्पादक है, रिपोर्ट फॉरवर्ड प्रेस की वाल से साभार
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