महाराष्ट्र पुलिस ने आज सुबह, बुधवार 6 जून को, देशव्यापी सक्रियता के साथ भीमा-कोरेगांव मामले में 5 लोगों की गिरफ्तारी की. नागपुर से नागपुर विश्वविद्यालय की अंग्रेजी की प्रोफेसर शोमा सेन, एडवोकेट गडलिंग, महेश राउत, मुम्बई से विद्रोही पत्रिका के सम्पादक सुधीर ढवले और दिल्ली से रोना विल्सन को गिरफ्तार किया. सूत्रों के अनुसार इन्हें अनलाफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने ये गिरफ्तारियां 31 दिसम्बर 2017 को भीमा-कोरेगांव में हुई ‘यलगार परिषद’ को नक्सल समर्थको द्वारा आयोजित बताते हुए की हैं. गौरतलब है कि इस आयोजन के एक दिन बाद 1 जनवरी 2018 को भीमा-कोरेगाँव में शौर्य दिवस आयोजन के दौरान और उसके बाद हिंसा हुई थी. भीमा-कोरेगाँव में दलित आन्दोलन और चेतना से जुड़े लोग 1 जनवरी को पेशवाओं पर अंग्रेजों की जीत में दलित सैनिकों के शौर्य की भूमिका का उत्सव मनाते हैं. पुलिस शुरू से ही 31 दिसम्बर को हुई परिषद में दिये गए भाषणों को भीमा-कोरेगाँव की हिंसा भड़काने का जिम्मेवार होने की थेयरी के साथ काम कर रही थी. ‘याल्गार परिषद’ का आयोजन दलित चिंतकों और कार्यकर्ताओं ने किया था.
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यालगार परिषद पुणे |
पिछले 17 अप्रैल को पुणे की पुलिस ने एडवोकेट सुरेन्द्र गडलिंग के घर और ऑफिस में छापा मारा था, और पेनड्राइव, हार्डडिस्क आदि जब्त कर ले गयी थी, जिसकी नागपुर के वकीलों ने जमकर निंदा की थी और उसके विरोध में मार्च किया था. गडलिंग नक्सली-कनेक्शन के नाम पर गिरफ्तार दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर साईं बाबा के वकील हैं. महाराष्ट्र के वर्धा जिले से सुधीर ढवले की पहले भी 2011 में नक्सली-कनेक्शन के नाम पर गिरफ्तारी हुई थी, जिसके बाद 2014 में कोर्ट ने उन्हें दोषमुक्त कर दिया था.
सामाजिक कार्यकर्ता और संत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय की अंग्रेजी प्रोफेसर सोमा सेन पुलिस की निरंतर निगरानी झेलती रही हैं. उनके पति तुषारकांत भट्टाचार्य की कई बार नकसली-कनेक्शन के नाम पर गिरफ्तारियां होती रही हैं.
इन गिरफ्तारियों को दलित एक्टिविस्ट भीमा-कोरेगांव से जुड़े दलित आन्दोलन को एक रंग देने की कवायद मानते हैं.