बलात्कृत रंगकर्मियों को पुलिस ने कैद कर रखा है: फैक्ट फाइंडिंग टीम



‘यौन हिंसा एवं दमन के खिलाफ महिलायें (WSS)’ की अगुआई में झारखंड गयी फैक्ट फाइंडिंग टीम ने अपने अंतरिम रिपोर्ट में कोचांग में गत 19 जून को रंगकर्मियों से हुए सामूहिक बलात्कार के मामले में कई सवाल उठाये हैं. सबसे बड़ा सवाल है कि पीड़िताओं को न तो उनके परिवार से मिलने दिया जा रहा है और न महिला एक्टिविस्ट से. पुलिस को भी इस पर कुछ भी बोलने से मनाही है. सारे मामले को एसपी ने अपने तक केन्द्रित रखा है. टीम ने उठाये कई सवाल और की कई मांगें: 


खूंटी फैक्ट फांइडिंग टीम की अंतरिम रिपोर्ट

फैक्ट फांइडिंग की तारीख: 28/06/2018 से 30/06/2018


स्थानः खूंटी

जैसा कि ज्ञात है कि, 19/06/2018 को कोचांग गांव (ब्लाक-अड़की, जिला-खूंटी) में मानव तस्करी पर नुक्कड़ नाटक करने गईं पांच महिलाओं के साथ कथित तौर पर घटे गैंग रेप की घटना की खबर मालूम हुई। इस घटना के बाद भारत के विभिन्न राज्यों में महिला अधिकारों पर काम करने वाले संगठनों और झारखण्ड़ के स्थानीय सामाजिक कार्यकत्ताओं ने डब्लू.एस.एस.की अगुवाई में एक जांच टीम का गठन किया। जांच टीम दिनांक 28/06/2018 को रांची पहुंची ताकी मामले से संबंधित तथ्यों की सही जानकारी इकट्ठी की जा सके। इस क्रम में फैक्ट फांइडिंग के मेमर्ब्स ने घटना से प्रभावित लोगों और घटना की जानकारी रखने वाले लोगों से बातचीत की। फैक्ट फांडिंग के मेमबर्स तथ्यों की पुख्ता  जानकारी के लिए पीड़ित महिलाओं से भी बात करने के लिए पीड़िताओं से मिलने गए, पर फैक्ट फांइडिंग टीम को उनसे मिलने नहीं दिया गया। साथ ही, खूंटी के डी. सी. और एस. पी. से फैक्ट फांइडिंग टीम ने मिलने के लिए समय मांगा, पर वे फैक्ट फांइडिंग टीम से नहीं मिले। फैक्ट फांइडिंग टीम की जांच -पड़ताल के बाद कुछ खास बाते सामने निकलकर आती हैं। जैसे कि, आम जनता तक घटना की जानकारी का स्रोत केवल पुलिस द्वारा गढ़ी गई कहानी है, जो अखबारों के माध्यम से उन तक पहुंच रहा है। साथ ही, फैक्ट फांइडिंग टीम की जांच के बाद जो तथ्य निकल कर सामने आए हैं, वे पुलिस द्वारा बनाई गई कहानी की प्रमाणिकता पर सवाल उठाते हैं।

फैक्ट फांडिंग टीम की जांच में पाए गए तथ्य:

1.19/06/2018 को एफ. आई.आर. के मुताबिक कथित तौर पर गैंग रेप की घटना घटी। इस घटना में स्थानीय संस्था की देख-रेख में रहने वाली दो बालिग महिलाओं और नुक्कड़ नाटक करने वाले संस्था के संचालक की टोली से तीन बालिग महिलाओं के साथ कथित गैंग रेप की घटना को कोचांग नामक गांव में अंजाम दिया गया। फैक्ट फांइडिंग की टीम को जांच के दौरान यह पता चला कि खूंटी के एक स्थानीय संस्थान के कर्मी और नुक्कड़ नाटक करने वाले संस्था के संचालक की मंडली साथ में मानव तस्करी के खिलाफ खूंटी में नुक्कड़ नाटक किया करते थे। इस पूरे मामले में गौर करने लायक बात यह है कि, एफ. आई. आर. में नुक्कड़ नाटक करने वाले संस्था के संचालक द्वारा खूंटी के एक स्थानीय संस्थान की सिस्टर पर यह आरोप लगाया गया है कि उन्होंने नुक्कड़ नाटक की मंडली को जोर देकर कोचांग मिशन स्कूल में नुक्कड़ नाटक करने को कहा। जबकि, उनका प्रोग्राम कोचांग स्थित बाजार में चल रहा था। लेकिन, अन्य सूत्रों से बात करने पर यह पता चला कि, सिस्टर पर नुक्कड़ नाटक करने वाले संस्था के संचालक द्वारा 19 जून का कार्यक्रम करने को लेकर दबाव डाला गया था। जबकि, सिस्टर द्वारा नुक्कड़ नाटक का टारगेट पूरा कर लिया गया था। साथ ही, नुक्कड़ नाटक मंडली का कोचांग में यह पहला कार्यक्रम था और नुक्कड़ टोली के लोग और दोनों सिस्टर इस इलाके से परिचित नहीं थे।

2. फादर के बारे में एफ. आई. आर. में यह आरोप लगाया गया है कि, उन्होंने ननों को रोक लिया जबकि शेष महिलाओं को जानबूझ कर मोटर साइकिल पर सवार चार अज्ञात लोगों के साथ जंगल में जाने दिया। उनपर एफ. आई. आर. में षडयंत्र करना, जबदस्ती रोककर रखना और गैंग रेप और भारतीय दंड संहिता के अन्य प्रावधान लगाए गए हैं। पर, फैक्ट फांइडिंग टीम को अन्य सूत्रों से यह पता चला है कि फादर खुद उस परिस्थिति में डरे हुए थे और उन अज्ञात अपराधियों के दबाव में थे।

3. एफ. आई. आर. के मुताबिक, गैंग रेप की घटना के बाद जब पीड़ित महिलाएं वापस आई और उन्होंने स्थानीय संस्था की दोनों सिस्टर (जो उनके साथ थीं) को घटना के बारे में बताया, तो उन्होंने घटना की जानकारी देने से मना किया।
जबकि, फैक्ट फांडिंग टीम ने जब इसके बारे में पूछ-ताछ की तो पता चला कि जब पीड़ित महिलाएं घटना के बाद गाड़ी में सिस्टर के साथ बैठीं, तब कोचांग से खूंटी के रास्ते में उन्होंने सिस्टर के पूछने पर बलात्कार की घटना के बारे में बताया। सिस्टर ने उसी वक्त डी. सी. के पास खबर देने को कहा। पर, पीड़ित महिलाओं ने उन्हें ऐसा करने से यह कहकर मना कर दिया कि, उन्हें खतरा होगा क्योंकि कथित गैंग रेप को अंजाम देने वाले अज्ञात लोगों ने उनका नाम, पता और पूरे परिवार का ब्योरा ले लिया है।

एफआईआर का एक हिस्सा

4. 20 जून को पुलिस को घटना की जानकारी मिली, लेकिन एफ. आई. आर. या मीडिया में चल रहे खबरों के मुताबिक यह स्पष्ट नहीं है कि, उन्हें घटना की जानकारी कहां से मिली। फैक्ट फांइडिंग की टीम द्वारा सूत्रों से पूछ-ताछ करने पर यह पता चला कि एस0 पी0 ऑफिस से ही थानों को कथित गैंग रेप की घटना की सूचना मिली थी। पुलिस के अनुसार, 20 जून की रात से ही पुलिस ने पीड़ित महिलाओं से संर्पक साधने की कोशिश की। पर, वे 21 जून को पीड़ित महिलाओं तक पहुंच पाए। उसके बाद 21 जून को पांचों पीड़ित महिलाओं का मेडिकल करवाया गया। पर, यहां गौर करने लायक बात यह है कि, पीड़ित महिलाओं के मेडिकल जांच के बारे में जब हमने सदर अस्पताल, खूंटी में पूछ-ताछ की तो हमें पता चला कि दो पीड़ित महिलाओं को मेडिकल जांच के लिए 20 जून को ही लाया गया था। फिर, 21 जून को मेडिकल जांच के लिए सभी पांच पीड़ित महिलाओं को लाया गया, जिसकी जांच के लिए मेडिकल बोर्ड की टीम बनाई गई थी।

5. एफ. आई. आर. में फादर के अलावा अज्ञात अपराधियों और पत्थलगढ़ी समर्थकों को अपराधी के रुप में डाला गया था। फैक्ट फांडिंग टीम के पूछ-ताछ के मुताबिक फादर के अलावा दो अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, दोनों संदिध लोगों ने तीन अन्य लोगों का नाम लिया। इनमें दो को पत्थलगढ़ी का नेता बताया गया है और एक बाजी सामंत नामक व्यक्ति का नाम लिया गया है, जो पीएलएफआई. का एरिया कमांडर है।

पुलिस से जब यह पूछा गया कि दोनों गिरफ्तार आरोपियों और सभी आरोपियों की शिनाख्त पीड़ित महिलाओं द्वारा की गई है या नहीं, तो कहा गया कि कानूनी प्रक्रिया की सारी जानकारी एस. पी. से ही मिलेगी और उन्हें इस मामले में किसी से कुछ भी न कहने को कहा गया है। यह बात साफ है कि, आरोपियों की शिनाख्त पीड़ित महिलाओं द्वारा नहीं की गयी है। इसके अलावा, आस-पास के गांवों के लोगों और अन्य स्त्रोत के अनुसार जो चार अज्ञात लोग मोटरसाइकिल पर सवार होकर पांचों महिलाओं को ले गए थे, वे उस इलाके के नहीं थे और पत्थलगढ़ी के नेता और उससे जुड़े व्यक्ति तो बिलकुल नहीं थे।

6. 26 जून को घाघरा में पुलिस के जवानों ने यह कहकर अंदर घुसने की कोशिश कि, की वहां कथित गैंग रेप के मामले में शामिल आरोपी पत्थलगढ़ी में शामिल होने वाले हैं। जबकि घाघरा गांव में पत्थलगढ़ी को लेकर ग्राम सभा हो रही थी, जहां आस-पास के गांव के लोग आए थे। वहां पुलिस और गांव वालों के बीच झड़प हुई। इस क्रम में महिलाओं ने पुलिस को करिया मुंडा के घर तक खदेड़कर भगा दिया। इस बीच करिया मुंडा के घर से चार जवानों को महिलाएं अपने साथ ले आए।

7. 27 जून को सी. आर. पी. एफ., रेफ, जे. ए. एफ. और होम गार्ड के 1000 जवान घाघरा (300 लोगों का गांव) और उससे सटे गांवों में घुस गए। फैक्ट फांडिंग टीम द्वारा घाघरा से सटे गावों का 30 जून को दौरा करने पर यह पता चला कि, घाघरा से सटे 7 गांव है जहां पुलिस गई थी, पर उनमें से केवल 3 से 4 गांवों में पत्थलगड़ी हुई थी। पुलिस जब उन गावों में घुसी जहां पत्थलगढ़ी हुई थी, तब अर्धसैनिक बलों द्वारा इन गांवों में लोगों को मारा-पीटा गया, जिसमें एक व्यक्ति मारा गया, कुछ लोगों को चोट पहुंची और एक बच्ची का हाथ भी टूट गया। कुल 150 से 300 लोगों को हिरासत में लिया गया जिसमें महिलाऐं भी काफी संख्या में थी। बाकी के लोग पुलिस के आने की सूचना पाकर अपने घरों को छोड़कर चले गए थे। जबकि, अन्य गांवों में जहां पत्थलगढ़ी नहीं हुई थी, वहां पुलिस ने लोगों के घर में घुसकर तलाशी ली। फैक्ट फांडिंग टीम ने घाघरा में भी घुसने की कोशिश की पर वहां पर भारी संख्या में जवान तैनात थे। उन्होंने यह कहकर फैक्ट फांडिंग टीम को रोक दिया कि एस0 पी0 की अनुमति के बिना हम वहां नहीं जा सकते।

हमने एस. पी. से संर्पक करने की कोशिश की पर वे हमें नहीं मिले।

8. 29 जून को गार्ड को रिहा कर दिया गया, इसके बावजूद 30 जून तक घाघरा में भारी मात्रा में पुलिस तैनात थी। पुलिस ने प्रेस कान्फरेंस में कथित गैंग रेप के आरोपियों का वीडियो जारी किया और जिस व्यक्ति बाजी सामंत का फोटो दिखाया वह पत्थलगढ़ी से जुड़ा व्यक्ति नहीं बल्कि पी. एल. एफ. आई. का मेंमबर है।

फैक्ट फांडिंग टीम की जांच से उठते कुछ सवाल

• पुलिस को कथित तौर पर गैंग रेप की घटना की जानकारी सबसे पहले कब और किसके द्वारा मिली?

• पुलिस के अनुसार, वह पीड़ित महिलाओं से पहली बार 21 जून को मिली और वह पीड़ित महिलाओं को मेडिकल जांच के लिए 21 जून को ले गई। जबकि सदर अस्पताल, खूंटी के मुताबिक 20 जून को दो पीड़ित महिलाओं की मेडिकल जांच की गई, वहीं 21 जून को पांचों पीड़ित महिलाओं की मेडिकल जांच फिर से की गई। पुलिस और सदर अस्पताल, खूंटी के द्वारा बताए गए तत्थों में अनियमितता क्यों है?
• जब पुलिस के पास कथित तौर पर घटे गैंग रेप आरोपियों का वीडियो था, तो उन्होंने अज्ञात लोगों, पत्थलगडी समर्थकों के खिलाफ केस क्यों दर्ज किया?
• पुलिस घाघरा में जहां पत्थलगढ़ी को लेकर ग्राम सभा हो रही थी वहां घुसने की कोशिश यह कहकर क्यों की, कि वहां कथित तौर पर घटे गैंग रेप के आरोपी आ रहे हैं? जबकि उन्हें पता है कि रेप का एक आरोपी बाजी सामंत दूसरे इलाके (खरसावां, सराईकेला) का रहने वाला है।
• पुलिस ने पीड़ित महिलाओं के द्वारा पकडे़ गए कथित तौर पर गैंग रेप के आरोपियों की शिनाख्त क्यों नहीं करवायी? और जिन तीन आरोपियों के लिए वह छापेमारी कर रही है, उसकी शिनाख्त पीड़ित महिलाओं द्वारा ना करवाकर पुलिस की हिरासत में लिए गए दो आरोपियों द्वारा क्यों करवा रही है?
• पीड़ित महिलाओं को प्रशासन की हिरासत में अब तक क्यों रखा गया है और उन्हें किसी से मिलने क्यों नहीं दिया जाता है?
• नुक्कड़ नाटक करवाने वाली संस्था का संचालक जिसने एक एफ0 आई0 आर0 दर्ज किया है, वह कौन है और एफ0 आई0 आर0 दर्ज कराने के बाद वह कहां गायब हो गया है? क्या वह प्रशासन की हिरासत में है?

एफआईआर का एक हिस्सा

फैक्ट फांडिंग टीम की जांच के कुछ निर्ष्कष:

• इस पूरे मामले में पीड़ित महिलाओं (जिनमें कुछ शादीशुदा हैं और उनके बच्चे भी हैं) का पक्ष पूरी तरह से गौन है। उनके परिवारों द्वारा मामले में कोई भी बयान नहीं आया है। हमने यह भी पाया कि, पीड़ित महिलाओं के परिवारों को पुलिस द्वारा घटना की जानकारी नहीं दी गई है।

• सरकार एवं स्थानीय पुलिस प्रशासन द्वारा पूरे मामले में गोपनीय तरीके से कार्यवाई की जा रही है। पीड़ित महिलाओं को सरकार की हिरासत में रखने के नाम पर किसी से मिलने नहीं दिया जा रहा है। अज्ञात आरोपियों के नाम पर पत्थलगड़ी के नेताओं को टारगेट किया जा रहा है और उनके खिलाफ छापेमारी की जा रही है। ये सभी चीजें पूरे मामले में अपनाई गई कानूनी और जांच की प्रक्रिया पर सवाल खड़ा करती हैं, क्योंकि सभी जानकारियों का पुलिस प्रशासन ही एकमात्र स्रोत है। इससे केवल प्रशासन द्वारा दिखाया जाने वाला पहलू ही देखने को मिल रहा है। बांकि जानकारी के माध्यमों को बंद कर दिया गया है।

• इस पूरे मामले में मीडिया की भूमिका संदिग्ध रही है। मीडिया ने पूरे मामले में तत्थों को तोड़-मरोड़कर पेश किया है। मामले में मीडिया ने पत्थलगढ़ी, आदीवासी समुदाय और चर्च एवं मिशन की संस्थाओं की नाकारात्मक छवि पेश की है।

• मीडिया और सरकार द्वारा चर्च एवं मिशन की संस्थाओं को फंसाने और बदनाम करने की कोशिश की गई है, इससे साफ पता चलता है कि तत्थों के साथ खिलवाड़ करके ऐसा किया गया है। इससे मामले से संबंधित सभी संस्थाओं के लोगों में भी भय का माहौल है।

• ये पीड़ित महिलाएंे जिन संस्थाओं से संबंध रखतीं हैं, उन संस्थाओं को प्रेस या किसी से भी बात करने की स्वतंत्रता नहीं है। इन संस्थाओं में काम करने वाले लोगों को जिनका संबंध मामले से है, उन्हें संस्था के चाहरदीवारी से न निकलने को कहा गया है। इन संस्थाओं के कर्मीयों को किसी भी बाहरी व्यक्ति से बात करने से मना किया गया है और संस्थाओं के अंदर किसी को भी घुसने की अनुमति नहीं दी गई है।


फैक्ट फांडिंग टीम की मांगें 

• फैक्ट फांडिंग की टीम कथित तौर पर घटे गैंग रेप की घटना की एक स्वतंत्र जांच एक उच्च स्तरीय जांच कमिटी द्वारा करवाने की मांग करती है। इस जांच को खूंटी प्रशासन से बिलकुल स्वतंत्र हो कर कराने की जरुरत है। इस जांच कमिटी में रिटायर्ड जज, वकील और महिला अधिकारों पर काम करने वाले सामाजिक कार्यकत्ता होने चाहिए।

• मामले की तहकीकात खूंटी पुलिस द्वारा ना करवा कर एक स्वतंत्र जांच द्वारा करवानी चाहिए।

• इस पूरे घटनाक्रम में, ऐसा मालूम पड़ता है कि प्रशासन द्वारा पीड़ित महिलाओं के पक्ष और उनकी इच्छा को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ और गौन कर दिया गया है। यह साफ नहीं है कि पांचों पीड़ित महिलाओं को उनकी मर्जी से पुलिस की हिरासत में रखा गया है या नहीं। इनमें से कुछ शादीशुदा हैं और उनके बच्चे भी हैं। इस मामले में खूंटी पुलिस और प्रशासन की संदिग्ध भूमिका को देखते हुए, यह तय है कि खूंटी पुलिस प्रशासन की देख-रेख में मामले की स्वतंत्र और निष्प्क्ष जांच संभव नहीं है। ऐसे में पीड़ित महिलाओं का खूंटी पुलिस और प्रशासन की हिरासत में रखना उनके लिए सुरक्षा की दृष्टि से सही नहीं होगा। महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए फैक्ट फांडिंग टीम की यह मांग है, कि पांचों पीड़ित महिलाओं को खूंटी पुलिस और प्रशासन की हिरासत से निकाल कर राज्य द्वारा अपने संरक्षण में रखे या उन्हें अपने घर वापस जाने दिया जाए।

• इसके अलावा, कथित तौर पर घटे गैंग रेप की घटना के बाद घाघरा और आस-पास के गांवों में पुलिस और अर्धसैनिक बलों द्वारा किए गए दमन की भी स्वतंत्र जांच होनी की सख्त जरुरत है। पुलिस और अर्धसैनिक बलों द्वारा किए गए दमन के दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। इसमें यह जांच होनी चाहिए कि प्रशासन द्वारा बल प्रयोग करने की जरुरत थी भी या नहीं। और अगर थी तो जिस प्रकार से बल प्रयोग किया गया वह उचित था या नहीं।

• साथ ही, घाघरा और आस-पास के गांवों में जहां पत्थलगढ़ी हुई है, वहां से पुलिस और अर्धसैनिक बलों को हटाया जाना चाहिए। ताकि, इन गांवों में रहने वाले लोग अपने घरों को लौट पाएं। वे आज भी अपने घरों को लौटने में संकोच कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि पुलिस और अर्धसैनिक बलों द्वारा वहां दोबारा हिंसा होगी। ऐसे में, इस पूरे घटनाक्रम में आम जिंदगी इन गांवों में ठहर सी गई है। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं और लोग जीविका चलाने के लिए रोजमर्रा के कामकाज नहीं कर पा रहे हैं।

-रिनचिन, राधिका, पूजा


डब्लू. एस. एस. की फैक्ट फांइडिंग टीम


यौन हिंसा व दमन के खिलाफ महिलाएं (WSS)

नवंम्बर 2009 में गठित एक गैर-अनुदान प्राप्त ज़मीनी प्रयास है। इस अभियान का मकसद है – हमारे शरीर व हमारे समाज पर हो रही हिंसा को खत्म करना। हमारा नेटवर्क पूरे देश में फैला हुआ है और इसमें औरतें अनेक राजनीतिक परिपाटियों, जन संगठनों, नारी संगठनों, छात्र व युवा संगठनों, नागरीक अधिकार संगठनों एवं व्यक्तिगत स्तर पर हिंसा व दमन के खिलाफ सक्रिय हैं। हम औरतों व लड़कियों के विरुद्ध किसी भी अपराधी/अपराधियों द्वारा की जा रही यौन हिंसा व दमन के खिलाफ हैं।

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