मुजफ्फरपुर बालिका-गृह में बच्चियों से बलात्कार मामले में बिहार सरकार में सामाजिक कल्याण मंत्री मंजू वर्मा के पति का नाम सामने आ जाने के बाद इस मामले में तह तक पहुँचने का एक रास्ता जहाँ खुलता है, वहीं एक भ्रम भी पैदा होता है कि मसला सुलझ गया. लेकिन राज्य के राजनीतिक संगठन और सामाजिक संगठन इस नये खुलासे को आख़िरी अंजाम नहीं मानते. इस भेद का असर आज पटना हाई कोर्ट में देखने को मिला.
पति चंद्रेश्वर वर्मा के साथ मंत्री मंजू वर्मा |
एक ओर हमारी जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हमारी कोशिश थी कि इस पूरे मामले की जांच सीबीआई से हो वहीं राज्य सरकार कोर्ट को यह कन्विंस करती रही कि चूकी इस मामले में चार्जशीट तैयार है इसलिए अब आगे की जांच का कोई औचित्य नहीं है. सरकार ने यहाँ तक कह डाला कि याचिका करता बिहार के ‘कुरूप चेहरे’ (अगली फेस) हैं. पलटकर कोर्ट ने पूछा कि यदि आपने तहकीकात पूरी कर ली है और चार्जशीट भी तैयार कर लिया है तो यह बताइये कि वहां से गायब चार लडकियां कहाँ हैं. सरकार के जवाब न दे पाने पर कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता नहीं यह मामला राज्य का ‘कुरूप चेहरा’ है. कोर्ट का रूख सख्त है. उधर इस मसले पर सरकार ने सीबीआई जांच की स्वीकृति जरूर दे दी है, लेकिन हमारी कोशिश होगी कि जांच का दायरा पूरे बिहार के बालिका-संरक्षण गृहों तक विस्तारित हो. पटना उच्च न्यायालय में इसकी अगली सुनवाई 6 अगस्त को होने वाली है.
संस्था संचालक ब्रजेश ठाकुर, अबतक मुख्य आरोपी |
मंत्री मंजू वर्मा के पति का नाम आने के बाद और इस मामले से सामाजिक कल्याण मंत्री मंजू वर्मा का नाम जुड़ जाने के बाद दो असर होते हैं- एक अभी तक इस मामले में मुख्य किरदार और मुजफ्फरपुर बालिका संरक्ष्ण गृह के डायरेक्टर ब्रजेश ठाकुर और उसने जुड़े नेताओं से ध्यान हट कर सारा ध्यान मंजू वर्मा तक केन्द्रित हो जाता है, दूसरा ऐसे मामले में काम कर रही पितृसत्तात्मक प्रवृत्ति को एक और तर्क मिल जाता है-महिलाओं का दुश्मन महिलायें. जबकि सच्चाई यह है कि इस मामले की और राज्य भर के सारे बालिका-गृहों की जांच हो तो इसमें और बड़े नाम सामने आ सकते हैं, कई नाम आ सकते हैं-हमें कोशिश करनी होगी कि सरकार इसकी आंच अपने तक आने से रोकने के प्रयास में बच्चियों को मिलने वाले न्याय को ही कुंद न कर दे.
मंत्री का इनकार
हालांकि मंत्री मंजू वर्मा ने कहा कि वे एक बार पति के साथ वहां गईं थीं. लेकिन, उसके बाद पति वहां कभी नहीं गए. मेरे पति का इस मामले से कोई लेना देना नहीं है. मंत्री ने कहा कि यह उनकी और पति की छवि को खराब करने तथा परिवार को बदनाम करने की सोची-समझी राजनीतिक साजिश है. प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव पर गंदी राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उनके मुजफ्फरपुर जाने के बाद आरोपित रवि रौशन की पत्नी से बयान दिलवाया गया है. पहले तेजस्वी यादव अपने गिरबान में झांकें.
इस मामले में देश भर में आक्रोश है. संसद में सांसद पप्पू यादव और रंजीता रंजन ने मसला उठाया और गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने जांच का आश्वासन दिया तो भी आजतक बिहार सरकार का रवैया इससे बचने का ही रहा, जब तक कोर्ट सख्त नहीं हुआ.
दिल्ली में बिहार भवन पर प्रदर्शन
इस बीच 30 जुलाई को राइड फॉर जेंडर फ्रीडम, नेशनल फेडरेशन ऑफ़ इन्डियन वीमेन (एनएफआईडवल्यू) और स्त्रीकाल सहित कई संगठनों ने इस मामले में समग्र जांच और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस्तीफे की मांग करते हुए बिहार भवन पर एक प्रदर्शन का आह्वान किया है. मुजफ्फरपुर के ही रहने वाले राकेश पिछले चार सालों से देश भर में ‘जेंडर-फ्रीडम’ के लिए सायकिल यात्रा कर रहे हैं. उनकी पहल पर इस प्रदर्शन का आह्वान किया गया है.
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संतोष कुमार सामाजिक कार्यकर्ता हैं और उन्होंने इस मामले में जनहित याचिका दायर की है
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