बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड की जांच की कमान सीबीआई ने 29 जुलाई को अपने हाथों में ले ली थी लेकिन 6 दिन से वह विभिन्न विभागों से कागज़ जब्त करने में लगी है. इससे सीबीआई की जांच पर भी सवाल उठ रहे हैं. अभी तक इस जांच एजेंसी ने किसी को भी रिमांड पर नहीं लिया है, यहाँ तक कि मुख्य सरगना ब्रजेश ठाकुर को भी नहीं. मुजफ्फरपुर पुलिस ने पिछले हफ्ते केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को मामला सौंपे जाने से पहले जो रिपोर्ट तैयार की थी उसमें स्पष्ट उल्लेख है कि इस कांड का मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर सरकारी फंड और ऑर्डर पाने के लिए सेक्स रैकेट चलाता था. उसके तार नेपाल से लेकर बांग्लादेश तक जुड़े हुए थे.
चित्र : अनुप्रिया |
पुलिस की रिपोर्ट में कहा गया है कि ठाकुर के तार गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) से जुड़े हुए थे और उसके रिश्तेदार और अन्य कर्मचारी, जिसे वह जानता था, उसमें प्रमुख पदों पर बैठे हुए थे। उसने इसके माध्यम से सरकारी अधिकारियों और बैंकरों के साथ मिलकर अवैध तरीके से खूब पैसा कमाया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रजेश ठाकुर ने पत्रकार होने के नाते अपने रूतबे का खूब इस्तेमाल किया, जिसकी बदौलत उसे विज्ञापन के प्रावधानों के अनुरूप खड़ा नहीं उतरने के बावजूद सरकारी अधिकारियों की सिफारिश पर समस्तीपुर स्थित सहारा वृद्धाश्रम चलाने की जिम्मेदारी दी गई थी.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बिहार स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी ने ब्रजेश ठाकुर के एक एनजीओ को योजनाओं के लिए प्रक्रिया का पालन किए बिना ही चलाने की अनुमति दे दी थी. रिपोर्ट में अंदेशा जताया गया है कि ब्रजेश ठाकुर इन योजनाओं को पाने के लिए एड्स कंट्रोल सोसायटी के अधिकारियों को लड़कियों की सप्लाई भी करता था.
इसके अलावा मामले में फरार चल रही ब्रजेश ठाकुर की मुख्य साथी मधु पर भी सवाल खड़े किए गए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, मधु देह व्यापार जैसे धंधे में शामिल थी और ब्रजेश ठाकुर ने उसी का इस्तेमाल करते हुए मुजफ्फरपुर के रेड लाइट एरिया चतुर्भुज स्थान तक अपनी पहचान बनाई और मधु को अपने संगठन ‘वामा शक्ति वाहिनी’ के कागज पर अहम जगह दी.
फंड के मुख्य स्रोत समाज कल्याण विभाग की मंत्री मंजू वर्मा के साथ एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार: फोटो 3 अगस्त, 2018 |
इन अहम जानकारियों के बावजूद सीबीआई कछुआ गति से जांच कर रही है. इस बीच स्वास्थ्य विभाग सहित कई विभागों से दस्तावेज गायब किये जाने की खबरें भी आ रही हैं. सीबीआई पर उठ रहे सवालों के बीच 6 जुलाई को हाईकोर्ट और 7 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है. उधर विपक्ष भी इस मुद्दे को जंतर-मंतर, नई दिल्ली तक पहुंचा कर राष्ट्रीय स्तर पर उभर रहा है. आज 4 जुलाई को जंतर-मंतर पर राजद द्वारा आयोजित कैंडल मार्च में अरविन्द केजरीवाल, राहुल गांधी आदि विपक्ष के नेताओं के शामिल होने की संभावना है.
इनपुट: टाइम्स ऑफ़ इण्डिया, अमर उजाला
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