देश का एक राज्य केरल इस वक़्त बहुत बड़ी प्राकृतिक विपदा से जूझ रहा है. र्प्राकृतिक सौन्दर्य से लैस केरल आज सदी की सबसे बड़ी बाढ़ की तबाही का सामना कर रहा है. 100 साल में कभी ऐसी तबाही केरल में नहीं देखी गई. 400 से ज़्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. 6 लाख से ज़्यादा लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं. राज्य के 14 में से 12 ज़िलों में रेड अलर्ट है और सबसे चिंताजनक बात है कि मौसम विभाग ने अभी भी भारी बारिश की आशंका जताई है जिससे आने वाले वक्त में हालात और बिगड़ सकते हैं. इडुक्की और एर्नाकुलम जिले राज्य के बाक़ी हिस्सों से पूरी तरह कट गए हैं. बदतर होते हालात के बीच सैंकड़ों रेस्कयू टीमें पूरी जी जान से लगी हुई हैं. सेना, नेवी, एयरफोर्स, NDRF, ITBP सभी राहत और बचाव के काम में लगे हैं. राज्य में बारिश और बाढ़ के चलते अब तक करीब 20 हज़ार करोड़ का नुकसान होने की बात मुख्यमंत्री विजयन कह रहे हैं. यातायात के साधन पूरी तरह ठप्प पड़े हैं.
अपनी भौगोलिक स्थिति और प्राकृतिक सौन्दर्य से समृद्ध केरल आज उसी का प्रकोप झेल रहा है. प्रकृति ने केरल को स्पष्ट रूप से तीन हिस्सों में बाँट रखा है– पूर्वी मलनाड (पूर्वी उच्च क्षेत्र), अडिवारम (तराई क्षेत्र), ऊँचा पहाडी क्षेत्र पालक्काड दर्रा, तृश्शूर-कांजगाड समतल, एरणाकुलम – तिरुवनन्तपुरम रोलिंग समतल और पश्चिमी तटीय समतल। यहाँ की भौगोलिक प्रकृति में पहाड़ और समतल दोनों का समावेश है। एक पौराणिक मान्यता के अनुसार परशुराम ने अपना परशु समुद्र में फेंका जिसकी वजह से उस आकार की भूमि समुद्र से बाहर निकली और केरल अस्तित्व में आया. इसलिए शायद केरल का एक अर्थ समुद्र से निकला भूभाग भी है.
छोटे से राज्य केरल में 40 नदियाँ हैं जो पश्चिमी दिशा में स्थित समुद्र अथवा झीलों में जा मिलती हैं. इनके अतिरिक्त पूर्वी दिशा की ओर बहने वाली तीन नदियाँ, अनेक झीलें और नहरें हैं. केरल को प्रकृति ने इतना समृद्ध किया है कि केरल को ‘ईश्वर का अपना घर’ भी कहा जाता है. ऐसा नहीं है कि केरल की समृद्धि सिर्फ प्रकृति प्रद्दत है. नवम्बर 1956 में एक राज्य के रूप में अस्तित्व में आने के बाद से ही यहाँ के लोगों ने अपनी मेहनत, लगन और भाईचारे की साझी संस्कृति विकसित करते हुए लोकतंत्र को और ज्यादा मजबूती प्रदान की. यही कारण है कि आज केरल सबसे साक्षर और स्त्री-पुरुष समानता में सबसे विकसित राज्य है. यहाँ की आबादी में हिन्दुओं तथा मुसलमानों के अलावा ईसाई भी बड़ी संख्या में रहते हैं. केरल में शिशुओं के प्रति वात्सल्य उत्कर्ष पर और मृत्यु दर सबसे कम है.यहाँ स्त्रियों की संख्या पुरुषों से भी अधिक है. यह राज्य विश्व का “प्रथम शिशु सौहार्द राज्य” के रूप में ख्यातिप्राप्त है. किन्तु आज खुद ईश्वर के इस घर पर प्रकृति का प्रकोप बाढ़ के रूप में कहर ढा रहा है.
आठ अगस्त से जारी बारिश के बाद से ही हालात बाद से बदतर होते जा रहे थे और 3-4 दिनों के भीतर ही लगभग 72 लोगों की जाने जा चुकी थी. बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित पथनमथिट्टा ज़िला, उत्तरी पलक्कड़ के नेनमारा में भयंकर तबाही हो चकी थी. भूस्खलन आदि में दबे दर्जनों शवों को निकाला जा रहा है. मुख्यमंत्री विजयन ने राज्य में हालात की अत्यधिक गंभीरता की सूचना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह को बताते हुए राहत कार्य में केंद्र से सहायता देने का अनुरोध किया है. अब तक 387 लोग मारे जा चुके हैं. इडुक्की, एर्नाकुलम, पलक्कड, अलप्पुझा, कोझीकोड, वायनाड, त्रिशूर और पथनमथिट्टा के बाढ़ प्रभावित इलाकों में संघीय आपदा आपात बल की चार अन्य टीमों को बीते 15 अगस्त को केरल भेजा गया है और इसके साथ ही राज्य में एनडीआरएफ की कुल डेढ़ दर्जन टीमें काम कर रही हैं. एनडीआरएफ की एक टीम में करीब 45 सदस्य होते हैं. राज्य में करीब 80 बांधों में पानी का स्तर क्षमता से अधिक होने के बाद उनसे पानी छोड़ना पड़ा है.
प्रधानमंत्री मोदी ने की 500 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा
प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने केरल के बाढ़ के सम्बन्ध में पहला ट्वीट नौ अगस्त को किया जिसमे उन्होंने केरल के मुख्यमंत्री से बात की और हर संभव मदद देने का प्रस्ताव रखा. हाँ, साथ में, यह भी लिखा कि इस विपदा में हमलोग कंधे से कन्धा मिलाकर खड़े हैं.. इसके बाद प्रधान मंत्री इतना व्यस्त हुए कि इस सन्दर्भ में दूसरा ट्वीट 15 अगस्त शाम लगभग 6 बजे किया. लेकिन इस बीच 15-20 ट्वीट 15 अगस्त के उनके भाषणों के रहे. जब अपनी तमाम व्यस्त कार्क्रमो से फुर्सत मिली–उन्होंने बताया कि केरल के मुख्यमंत्री से केरल के दुर्भाग्यपूर्ण आपदा पर विस्तार से बात हुई. केंद्र दृढ़ता से केरल वासियों के साथ खड़ा है और वह हर मदद के लिए तैयार है. 16 तारीख की सुबह में 9:15 पर फिर ट्वीटर के माध्ययम से बताया कि बाढ़ की स्थिति के बारे में मुख्यमंत्री विजयन से बात की. रक्षा मंत्री से आगे के बचाव और मदद कार्यों का विवरण लिया. और अंत में केरल के लोगों की सुरक्षा और बेहतरी के लिए प्रार्थना की. इसके बाद पुर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के एपिसोड में 10-15 ट्वीट.17 अगस्त को लगभाग 9.06 बजे सुबह फिर उन्होंने मुख्यमंत्री से चर्चा की और रहत कार्यों की जानकारी ली. साथ ही यह बताया कि शाम में वह केरल जाएंगे जायजा लेने. इसके बाद 7.30 बजे वे निकल गए केरल के बाढ़ पीडितो का जायजा लेने. इस दौरान राहुल गांधी ने प्रधान मंत्री को कई बार ट्वीट किया और इसे अविलंब राष्ट्रीय आपदा घोषित किये जाने की मांग की. कांग्रेस अध्यक्ष ने लिखा–‘प्रिय प्रधानमंत्री, कृपया बिना विलंब किए केरल की बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए. हमारे करोड़ों लोगों का जीवन, जीविका और भविष्य दाव पर है.’
अब सवाल कई उठ रहे हैं. प्रधान मंत्री को 9 अगस्त से पहले ही बाढ़ की विभीषिका का पता चल चुका था और मुख्य मंत्री को वे हर संभव मदद का भी आश्वासन दे रहे थे तब कोई ठोस घोषणा क्यों नहीं की गई? इसे राष्ट्रीय आपदा क्यों नहीं घोषित किया गया है अबतक ? केरल के मुख्यमंत्री ने तत्काल कम से कम 2000 करोड़ रूपए के मदद की जरुरत बतायी है. जबकि केंद्र ने 500 करोड़ ही दिए हैं. तो क्या यह माना जाए कि मोदी सिर्फ बोल बच्चन में माहिर हैं और जमीनी हकीक़त से इनका कोई वास्ता नहीं. सीपीएम नेता सीता राम येचुरी ने इसे अपर्याप्त बताया है और तत्काल राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की बात कही.
सप्ताहांत तक केरल में भारी बारिश का अनुमान: समस्या और विकराल होने की संभावना
वर्षा से तबाह केरल के ऊपर मंडरा रहा ज़ोरदार दक्षिण पश्चिम मानसून इस सप्ताहांत को तमिलनाडु और कर्नाटक के साथ ही इस राज्य में भी खूब बरसेगा. चेन्नई स्थित क्षेत्रीय मौसम कार्यालय ने आज यह जानकारी दी है. मौसम कार्यालय ने अपनी रोज़ाना मौसम रिपोर्ट में बताया कि दक्षिण पश्चिम मानसून केरल में ‘जबरदस्त’ तथा तेलंगाना, लक्षद्वीप, तटीय कर्नाटक और दक्षिण अंदरूनी कर्नाटक में ‘सक्रिय’है. विभाग ने बताया कि केरल, लक्षद्वीप, कर्नाटक, तेलंगाना में ज़्यादातर स्थानों तथा तमिलनाडु एवं आंध्र प्रदेश में कुछ स्थानों सुबह साढ़े आठ बजे तक पिछले 24 घंटे में वर्षा हुई है.19 अगस्त के लिए भारी वर्षा संबंधी अपनी चेतावनी में क्षेत्रीय मौसम कार्यालय ने कहा कि तटीय कर्नाटक में छिटपुट स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है. विभाग ने कहा,‘तमिलनाडु में नीलगिरि, कोयंबटूर, थेनी, डिंडीगुल, तिरुनेलवेली ज़िलों में घाट इलाकों पर छिटपुट स्थानों तथा दक्षिणी अंदरूनी कर्नाटक में भारी वर्षा होने की संभावना है.’भारतीय मौसम विभाग के अधिकारी डॉ. एस. देवी ने बताया कि 16 अगस्त तक राज्य में 619.5 मिलीमीटर बारिश हुई है जोकि सामान्य तौर पर 244.1 मिलीमीटर होनी चाहिए. बारिश की तीव्रता में कमी आई है लेकिन अगले दो दिनों तक भारी बारिश जारी रहेगी.
नदियों में पानी के उफान को देखते हुए आंध्र प्रदेश के पूर्वी और पश्चिमी ज़िलों में आपदा राहत और बचाव टीमों को तैयार रखा गया है. तमिलनाडु के थेनी और मदुरै में भी बाढ़ का अलर्ट जारी कर दिया गया है. 8,410 लोग राहत शिविरों में पहुंचे गए हैं. चेन्नई तमिलनाडु के थेनी और मदुरै ज़िलों में भी बाढ़ का अलर्ट जारी किया गया है. कावेरी और भवानी नदियों के तटों पर रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पंहुचाया गया है. मेट्टूर सहित तीन बांधों से दो लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा गया है. अधिकारियों ने बताया कि करीब 8,410 लोगों ने कर्नाटक के जलाशयों से काफी मात्रा में जल प्रवाह होने के मद्देनजर राहत शिविरों में शरण ली है.
इसी बीच बाढ़ और बाँध का मामला सर्वोच्च न्यायालय पहुंचा
17 अगस्त को केरल में आई बाढ़ पर सुप्रीम कोर्ट दखल देने को तैयार होते हुए याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गई. रसल जॉय ने केरल में बाढ़ से हुई मौतों व हालात का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से दखल देने का आग्रह किया था. कोर्ट ने कहा कि पैनल पानी के स्तर को 142 फीट से 139 फीट पर करने पर विचार करे ताकि उस इलाके में रहने वाले लोग भय के साए में न रहें. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केरल और तमिलनाडु दोनों समन्वय और सौहार्द के साथ केंद्र के साथ मिलकर काम करें. चीफ जस्टिस ने इस मौके पर केरल और तमिलनाडु के वकीलों से कहा सालों से आप दोनों पानी के लिए चिल्लाते रहे लेकिन अब दोनों की आंखों में आंसू हैं.
कई राज्य मदद को सामने आए
दिल्ली, बिहार, हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्रियों ने 10-10 करोड़ रुपये मदद देने की घोषणा की है. , पंजाब सरकार ने 10 करोड़ के साथ ही तुरंत खाने योग्य 30 टन खाद्य सामग्री की सहायता भेजने की बात कही है. ओडिशा और झारखंड के मुख्यमंत्री ने केरल को पांच-पांच करोड़ रुपये की सहायता राशि जारी करने की घोषणा की है. इनके अलावा भी कई राज्य सहायता को आगे आ रहे हैं. लेकिन केंद्र सरकार का रवैया थोडा नकारात्मक कहा जा सकता है. सोशल मीडिया पर घूम जाइए तो आपको भाजपा और संघ समर्थक लोगों के ऐसे-ऐसे पोस्ट दिखेंगे जिसका अनुमान कम-से-कम इस मानवता के संकट की घडी में आप नहीं लगा सकते थे. कुछ के कहने का निहितार्थ था कि कम्यूनिस्टों का राज्य है…वहाँ मुस्लिम और क्रिश्चियन ज्यादा हैं…लब्बोलुबाब यह कि ले देकर उनके दुश्मन कमजोर होंगें. क्या केंद्र सरकार के मात्र 500 करोड़ की मदद के पीछे भी कुछ इसी तरह की मंशा का आभास नहीं पाया जा सकता.
सोशल मीडिया में मानवता का संदेश और सवालों का सिलसिला
खैर, इन सब के बीच भारतीयता और उससे भी बढ़कर मानवता के दर्शन वाले कुछ मर्मस्पर्शी पोस्ट आपको आश्वस्त जरूर कर देंगे कि मानवता ज़िंदा ही नहीं फल-फूल भी रही है..
फेसबुक पर श्वेता यादव टेढ़ी उंगली नाम से एक ब्लॉग चलाती हैं. वे फेसबुक यूजर प्रद्युम्न यादव के पोस्ट को अपने फेसबुक वाल पर शेयर करते हुए केरल की बीएससी 3rd ईयर की एक मुस्लिम छात्रा हनाना हामिद के बारे में बताती हैं कि कैसे उसने मछली बेचकर अपने परिवार का भरण-पोषण किया और अपनी पढ़ाई जारी रखी. अपनी गाढ़ी कमाई से बचे कुल डेढ़ लाख रूपए उसने निजी तौर पर बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष में डाल दिए. हनाना उस समय सुर्ख़ियों में आई थी जब उसे स्कूल ड्रेस में मछलियाँ बेचने पर खूब ट्रोल किया गया था और झूठी, बनावटी और दिखावटी कहा गया था. बाद में केरल सरकार के केन्द्रीय मंत्री अलफोंस कन्नाथनम उसके बचाव में आए और उसे सच्चा बताया. हनान हामिद ने राहत कोष में पैसे देते वक़्त कहा– ‘मुझे लोगों से जो मिला वही वापस कर रही हूँ. क्योंकि जिन लोगों ने मेरी मदद की वो आज बाढ़ की समस्या से जूझ रहे हैं, इसलिए उनकी मदद के लिए मई इतना तो कर ही सकी हूँ.”
एक अन्य पोस्ट में फेसबुक पर सक्रिय जया निगम ने कॉरपोरेट घरानों द्वारा केरल के लोगों के लिये की जा रही आर्थिक मदद की खबरें ढ़ूंढ़ीं, फेसबुक पर शेयर करते हुए लिखा-
“टीवीएस मोटर्स ने 1 करोड़ रुपये, ICICI बैंक ने 10 करोड़ रुपये और वॉक्सवौगन कंपनी द्वारा 30 लाख रुपये की आर्थिक मदद सुनिश्चित किये जाने की चुनिंदा खबरें. पतंजलि की मदद की खबर भी मिली पर केवल टीवी पर. उनकी रकम की पुष्टि करने वाली कोई डीटेल खबर नहीं मिली.” लगे हाथ पूंजीपतियों को कटघरे में भी खड़ा करती हैं जो वर्षों से मुनाफे के चक्कर में केरल की प्रकृति से खिलवाड़ कर रहे थे. वे मोदी पर तंज कसते हुए लिखती हैं-
“प्राइवेट प्लेयर्स यानी पूंजीपति जो भारत के विकास और समाज की वो दुखती रग हैं, जिसके बारे में बात करते हुए हमारे मोदी जी कुछ यूं भावुक हो उठते हैं मानो आम भारतीय अगर जिंदा भी है तो उनकी वजह से और उनके ही लिये.” जाया अपने पोस्ट में आगे सवाल करती हैं कि
“ऐसे में उन्ही कॉरपोरेट घरानों की ओर से केरल में इतनी कम आर्थिक मदद दिया जाना एक नज़ीर है उन लोगों के लिये जिन्हे विकास के विनाशकारी प्रोज्क्ट्स पर अंधश्रद्धा है. क्या हमारे कॉरपोरेट घरानों के मालिकों के दिलों में जरा भी आम भारतीय का ख्याल बचा है या उन्होने केवल भारतीय को पैसा बनाने का उपकरण समझ लिया है. थोड़ा उन बेलआउट पैकेजों का ही ख्याल कर लें जिन्हे आम भारतीय के टैक्स के पैसे से आपको दिया जाता है कि ताकि उनके रोजगार बने रहें और आपके अरबों रुपये के व्यापारिक घराने बचे रहें. मोदी जी कॉरपोरेट घरानों से एक बार कह कर तो देखिये केरल की जनता समेत समस्त भारतीयों की निगाहें आखिर आप पर ही टिकी हैं!”
स्त्रीकाल के लिए फ्रीलांस रिपोर्टिंग करनेवाले सुशील मानव एक अलग ही खबर फेसबुक पर देते हैं. वे वाल पर लिखते हैं–
“बाढ़ की भीषण तबाही से जूझ रहे केरल की मदद के लिए यूएई (यूनाइटेड अरब अमीरात ) ने आगे आकर हाथ बढ़ाया है. यूएई ने केरल में बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए एक कमेटी का गठन किया है. यूएई के प्रेसिडेंट शेख खलीफा ने एक नेशनल इमरजेंसी कमेटी का गठन करने का निर्देश दिया है, ताकि केरल बाढ़ पीड़ितों को सहायता मुहैया कराई जा सके. वहीं यूएई के वाइस प्रेसिडेंट शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम ने ट्वीट कर कहा है कि केरल के लोग हमारी सफलता में सहभागी रहे हैं और हैं. ऐसे में उनके प्रति हमारी विशेष जिम्मेदारी बनती है. इस समय बाढ़ प्रभावित लोगों कि मदद करना हमारा फर्ज है.
वाइस प्रेसिडेंट शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम ने कहा है कि हमें भारत में अपने भाईयों की मदद से पीछे नहीं हटना चाहिए. हमने एक कमेटी का गठन कर दिया है. उन्होंने लोगों से अपील की है कि इस समय बढ़-चढ़कर केरल के लोगों की मदद करें.
जबकि हमारी अपनी सरकार दो दिन जश्न और तीन दिन मातम मनाने के बाद आज हवाई यात्रा से लोगो के हाल चाल जान रही है. जबकि बाढ़ के चलते अब तक 324 लोगों की मौत हो चुकी है है. कागज की जियो यूनिवर्सिटी को 1000 करोड़ और 36 राफेल डील के बदले 58000 करोड़ विदेशी कंपनियों को दे आने वाले प्रधानमंत्री मोदी ने बाढ़ से तबाह केरल के लिए 500 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद की घोषणा की है.
जाहिर है आफत में फँसे केरल के लोगो से चुनावी खुन्नस भी पूरी कर ली जा रही है..”.तो इन प्रतिक्रियाओं को देखते हुए लगता है कि प्रधानमंत्री द्वारा 15 अगस्त का आयोजन, फिर पूर्व प्रधानमन्त्री अटल विहारी वाजपेयी के देहावसान का इवेंट जनमानस को ठेस पहुंचा गया. खैर, केंद्र सरकार की मदद के अलावे जिताने हाथ मदद को सामने आए हैं और आ रहे हैं उससे आशा और भरोसा दोनों मज़बूत हुआ है कि आपदा कितनी ही बड़ी क्यों न हो, मानवता और भाईचारे से हर जंग जीती जा सकती है.
राजीव सुमन स्त्रीकाल के संपादन मंडल के सदस्य हैं.
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