महिला साहित्यकार के साथ अश्लील बातचीत करने और यौनसंबंध का दवाब बनाने के आरोप में घिरे इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति रतनलाल हंगलू द्वारा पीड़िता के पक्ष में खड़े लोगों पर बदले की कार्रवाईयां करवायी जा रही हैं, मानहानि का मुकदमा दर्ज करने की धमकी दी जा रही है, वहीं विश्वविद्यालय के शिक्षक भी कथित शान्ति मार्च के नाम पर उनके समर्थन में प्रदर्शन कर रहे हैं. इस बीच मामले की सीबीआई जांच की मांग की गयी है. पुलिस के अपुष्ट सूत्रों के अनुसार पुलिस भी अश्लील बातचीत को कुलपति द्वारा की गयी बातचीत मान रही है. सुशील मानव की रिपोर्ट:
महिला साहित्यकार से वाट्सएप पर अश्लील बात-चीत करने और अपने पद और पवर का दुरुपयोग करते हुए उसका प्रभाव भय और नौकरी का लालच देकर उस पर यौनसंबंध के लिए दबाव बनाने के आरोपित इलाहबाद विश्वविद्यालय के कुलपति रतन लाल हंगलू अपने कच्चे-चिट्ठे का भंडाफोड़ हो जाने के बाद से लगातार पीड़िता और पीड़िता के साथ खड़े लोगों के खिलाफ हमले करवा रहे हैं। इसके लिए वे अपनी सारी मशीनरी का इस्तेमाल भी कर-करवा रहे हैं। विश्वविद्यालय इलाहाबाद के पब्लिक रिलेशन ऑफिसर (पीआरओ) चितरंजन कुमार द्वारा ऋचा सिंह पर छात्रसंघ का अध्यक्ष रहने के दौरान रुपए गबन करने का आरोप लगाया गया है। वहीं सपा के छात्रसंगठन से निवर्तमान छात्रसंघ अध्यक्ष अवनीश यादव के खिलाफ़ दूसरों से अपनी कांपियाँ लिखवाने का आरोप पीआरओ इलाहाबाद विश्वविद्यालय के द्वारा लगाया गया है। अविनाश यादव और ऋचा सिंह पर यदि ऐसा कोई आरोप था तो यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट द्वारा पहले क्यों कोई कार्रवाई नहीं की गई? जाहिर है ये सब कुलपति पर लगे गंभीर आरोपों के बाद बदले की भावना से की जा रही कार्रवाईयां हैं, ताकि सबसे अलग-थलग करके पीड़िता को अकेला और कमजोर किया जा सके। साथ ही यूनिवर्सिटी के पीआरओ चितरंजन कुमार द्वारा स्त्रीकाल वेबपोर्टल के संपादक और रिपोर्टर पर भी दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है। उन्हें मानहानि की धमकी भिजवायी जा रही है। वहीं महिला साहित्यकार और कुलपति के वाट्सएप चैट और फोन पर बातचीत का ऑडियो सार्वजनिक करनेवाले छात्रनेता अविनाश दूबे के खिलाफ रजिस्ट्रार, इलाहबाद विश्वविद्यालय की ओर से एफआईआर दर्ज करवाया गया है।
बता दें कि ऋचा सिंह को पीड़ित महिला ने पत्र लिखकर बताया कि वाट्सएप चैट वायरल होने के बाद से रतन लाल हांगलू की ओर से पीड़िता को जान से मारने की धमकी मिल रही है। साथ ही पीड़िता ने पत्र में ऋचा सिंह पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष से अपने जीवन की सुरक्षा व्यवस्था के लिए भी गुहार लगाई है। अब इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से ऋचा सिंह पर मानहानि का मुकदमा दर्ज करवाने की भी धमकी अख़बारों में खबरों के जरिए दी जा रही है। ऋचा सिंह द्वारा पीड़िता की ओर से कुलपति पर आरोप लगाने और राष्ट्रपति प्रधानमंत्री को पत्र लिखने की बात को पीआरओ चितरंजन सिंह द्वारा विश्वविद्यालय की गरिमा से जोड़ दिया गया है। पीआरओ द्वारा लगातार बड़ी शातिरतापूर्ण ढंग से कुलपति के खिलाफ लगाए आरोप को विश्वविद्यालय की गरिमा से जोड़ दिया गया है। और इस तरह से प्रचारित प्रसारित किया जा रहा है कि जैसे कुलपति ही विश्वविद्यालय हैं। याद कीजिए पैटर्न देश में भी बलात्कार की कोई बड़ी घटना की कवरेज विदेशी मीडिया में होती है या प्रधानमंत्री के खिलाफ कोई नेता कुछ आरोप लगाता है तो कैसे भाजपा-और संघ के लोग इसे देश की छवि खराब करनेवाला बता देते हैं।
हिंदुस्तान से मिली खबर के मुताबिक शुक्रवार 14 सितंबर को इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रॉक्टोरियल बोर्ड की मीटिंग हुई। मीटिंग में ऋचा सिंह की ओर से कैंपस की लड़कियों की सुरक्षा को लेकर दिए गए बयान को गैरजिम्मेदाराना कहा गया है और इस पर क्षोभ व्यक्त किया गया है। मीटिंग में बताया गया है कि एक राष्ट्रीय स्तर की संस्था के बारे में ऋचा सिंह द्वारा किया जा रहा दुष्प्रचार निंदनीय है। उपरोक्त बातें बैठक में शामिल चीफ प्रॉक्टर प्रो राम सेवक दूबे की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है।
उपरोक्त प्रेस विज्ञप्ति पर अगर ठहरकर एक नज़र डाली जाए तो बहुत सी चीजें स्पष्ट हो जाती हैं। कैंपस में लड़कियों की सुरक्षा के प्रति एक महिला व पूर्वछात्रसंघ अध्यक्ष की चिंता जताने वाले बयान को किस आधार पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रॉक्टोरियल बोर्ड ने गैर जिम्मेदाराना कहा? क्या प्रॉक्टोरियल बोर्ड ने इस पूरे मामले में कुलपति के विरुद्ध कोई जाँच करवाई। गर नहीं करवाई तो उस स्थिति में प्रोक्टोरियल बोर्ड का ये बयान बेहद ही शर्मनाक और निंदनीय है साथ ही इस बात की बानगी भी कि केंद्रीय विश्वविद्यालय जैसे उच्च शिक्षा संस्थान में किस तरह अलोकतांत्रिक और सामंतवादी आचरण किया जाता है, तथा किसी भी तरह का आरोप लगाने वाले के खिलाफ प्रबंधन एकजुट होकर किस तरह उसका शिकार करता है। जाहिर है प्रोक्टोरियल बोर्ड में शामिल लोग पूरी निर्लज्जता के साथ आरोपी कुलपति के साथ खड़े हैं। दूसरी बात ये कि प्रोक्टोरियल मीटिंग में ऋचा सिंह द्वारा एक राष्ट्रीय स्तर की संस्था के बारे में दुष्प्रचार का आरोप लगाकर निंदा भी कर दी गई है। ऋचा सिंह ने संस्था के बारे में क्या दुष्प्रचार किया है ये बात भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोक्टोरियल बोर्ड को स्पष्ट करनी चाहिए। उन्होंने तो सिर्फ कुलपति हांगलू पर आरोप लगाया है। तो क्या इलाहाबाद विश्वविद्यालय का प्रोक्टोरियल बोर्ड कुलपति हांगलू को संस्था (इलाहाबाद विश्वविद्यालय) मानता है?ये तो वही मिसाल हुई जो भाजपा वाले दुहराते रहते हैं कि जो मोदी सरकार के खिलाफ है वो राष्ट्रद्रोही है।
वहीं शुक्रवार को आरोपित कुलपति रतन लाल हांगलू के समर्थन में कुलपति दफ्तर से गांधी भवन तक शांति मार्च निकाला गया। शांति मार्च के बाद पीआरओ ने कुलपति के सारे आरोप धुल जाने का दावा करते हुए कहा कि ये शांति मार्च आरोप लगानेवालों के मुँह पर तमाचा है। माने गाँधी-भवन तक शांति मार्च निकालने के बाद भी मन की कुंठा और हिंसाभाव खत्म नहीं हुई और आरोप लगानेवालों को उन्होंने इसके जरिए तमाचा तक जड़ दिया। विश्वविद्यालय के पीआरओ चितरंजन कुमार इस समय आरोपित कुलपति के प्रवक्ता जैसा आचरण कर रहे हैं। जिसमें आरोप लगाने वालों के खिलाफ मुकदमा करने से लेकर रिपोर्ट लिखनेवाले पत्रकार को धमकाने तक सब शामिल है। वहीं तमाचा मार्च निकालनेवाले पीआरओ ने बिना किसी जाँच के ही सभी साक्ष्यों और गवाहों को फर्जी और झूठा भी कह दिया है।
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कुलपति हंगलू |
वहीं पीआरओ चितरंजन कुमार द्वारा गबन का आरोप लगाए जाने के बाद ऋचा सिंह ने अपने बयान में कहा है- “पीआरओ का बयान मेरी सामाजिक और व्यक्तिगत छवि को धूमिल करने का प्रयास है। गबन का मामला न होने की पुष्टि वित्त विभाग से की जा सकती है। आजादी के बाद विवि की प्रथम महिला छात्रसंघ अध्यक्ष होने के नाते मेरे द्वारा छात्रसंघ के बजट से एक रुपया भी नहीं लिया गया। बल्कि मैंने उल्टे विवि से पूछा कि उस सत्र में बजट का पैसा विवि ने कहाँ खर्च किया? लेकिन मुझे कोई जवाब नहीं मिला मैं पीआरओ पर मानहानि का मुकदमा दर्ज कराऊँगी।”
इस बीच पूर्व अध्यक्ष ऋचा सिंह ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर कुलपति पर लगे आरोपों की सीबीआई जांच की मांग की है। वही अपुष्ट सूत्रों से यह भी पता चला है कि व्हाट्स ऐप चैट को पुलिस भी सही मान रही है।
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