तोरी टिंडे और कश्मीरी सेब
कश्मीर में विकास करने के सरकारी मिथ और दावे के बीच शेष भारत का मर्दवादी चेहरा सामने है. जो अपनी-बहन बेटियों को संपत्ति में अधिकार नहीं दे सकते वे धारा 370 की समाप्ति के बाद कश्मीरी लड़कियों से शादी के मंसूबे फेक रहे. वहां लड़कियों को शेष भारत में शादी की कभी मनाही नहीं थी, हां ऐसा करने पर उनके सम्पत्ति के अधिकार जाते रहते. नूर ज़हीर का यह लेख शेष भारत के मर्दवादी चरित्र और कश्मीर के आईने में उसके विकास को आइना दिखा रहा है. पढ़ें:
बर्बरता हमेशा विजय में लूटपाट देखती है । लूट के माल मे भक्तगन आज भी महिलाओं को जोडेटे हैं यह उनके कशमीर मे धारा 370 खत्म होने मे उल्लास की अभिव्यक्ति मे दिखाई दे रहा है । भक्तों की पुरुषवादी सोच और लूट मे क्या मिले इस पर ज़्यादा बात करने की ज़रूरत नहीं; जो जैसा है वैसी ही उसकी खुशी होगी। बात तो उन भक्तों की महिलाओं की है । क्या आज से पहले कभी इन ‘हिन्दू’ महिलाओं को इतना कूड़ा कबाड़ जैसा महसूस कराया गया होगा। जब एक समुदाय के पुरुष गोरी, चिट्टी, लंबी नाक, बड़ी आँखों और सुर्ख होंटों वाली कश्मीरन का सपना देखने लगे तो आप कैसा महसूस करती हैं?

वैसे पत्नी जैसी भी मिले, औलाद तो आपके मर्द लोग गोरी, लंबी, सुंदर शरीर वाली ही चाहते रहें हैं। इसीलिए तो प्राकृतिक आयुवेद केंद्र खुले जहां ऐसे मंत्र जाप, दिन, भोजन और औषधियां दी जाती हैं जिससे पति पत्नी को गोरा, लंबा, सुंदर बच्चा प्राप्त हो । लेकिन यह रास्ता कठिन है और चूक हो जाने की फिर भी बहुत गुंजाइश है । गोरी, कशमीरी लड़की के साथ दोनों सुख, ज़बरदस्ती करने का भी आनंद और गोरी औलाद मिलने का पूरा यकीन। तो आप बहना तो हो गईं फालतू चीज़! वैसे आप को कोई ऐतराज नहीं है फालतू बनने मे; काफी मात्र मे आप मौजूद थीं, तिरंगा लिए उस जलूस मे जो आठ साल की आशिफा के बलात्कारी के समर्थन मे निकला था । आप के नहीं समझ मे आयेगा अमरीका मे बैठी शेख अब्दुल्लाह की नवासी डॉ नैला अली खान कैसे तड़प रही है अपने माता पिता-की कुछ खबर पाने के लिए। वही शेख अब्दुल्लाह जो शेर-ए-काश्मीर कहलाते थे और जिनहे भारत की सरकार ने 14 साल जेल मे रखा । उनका जुर्म न उस वक़्त था न आज तक साबित हुआ। वही शेख अब्दुल्लाह जिनहोने लिखा था, “मैं खुद चाहता हूँ की कश्मीरियों को वही हक़ मिले जो अन्य भारतीय नागरिकों को , न कम न ज़्यादा ; लेकिन मैं देखता हूँ की पठानकोट के आसपास वह हक़ कुछ धुंधले पड़ने शुरू हो जाते हैं और पठानकोट से बनिहाल पास तक पहुँचते पहुँचते उनकी बस एक छाया सी ही बची रह जाती है और बनिहाल के आगे तो उन हकों का नमो निशान नहीं मिलता । काश्मीर मे कश्मीरियों का वजूद भारतीय फौज और पुलिस के टुच्चे अफसरों की मर्ज़ी पर निर्भर करता है ।“
इस सब के चलते भी यह यह डाटा एनएफ़एचएस-4 का है :
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थय-सूचकांक
बच्चों में कुपोषण:
जम्मू और काश्मीर:16.6%
उत्तर प्रदेश :39.5%
पूरा भारत: 35.8%
शिशु मृत्यु दर
जम्मू और काश्मीर: 32/1000
उत्तर प्रदेश :64/1000
पूरा भारत: 41/1000
गर्भ निरोधक उपायों का उपयोग
जम्मू और काश्मीर:57.3%
उत्तर प्रदेश :45.5%
पूरा भारत:53.5%
प्रसव-पूर्व चिकित्सकीय परामर्श
जम्मू और काश्मीर:81.4%
उत्तर प्रदेश :26.4%
पूरा भारत:51.2%
पूर्ण प्रतिरोधक इंतजाम
जम्मू और काश्मीर: 75.1%
उत्तर प्रदेश :51.1%
पूरा भारत:62%
वैवाहिक हिंसा
जम्मू और काश्मीर: 9.4%
उत्तर प्रदेश : 36.7.%
पूरा भारत: 31.1
लेकिन
कोई बात नहीं। जब भक्त लोग कब्जा जमा लेंगे तो यहाँ की महिलाओं की हालत भी आप जैसी
हो जाएगी। स्वर्ग को नर्क बनाने मे ज़्यादा वक़्त थोड़ी लगता है।
आज जो थोड़ा सी रक्षा कश्मीरियों और कश्मीरियत की करता था धारा 370, वह खारिज है, संपर्क के सब साधन बंद है, ज़मीन और महिला शरीर पर कब्जे की आशा का नंगा नाच जारी है, वे जो अपनी बेटियों को अपनी संपत्ति मे हिस्सा नहीं देते, बेटी का किसी और जाति के पुरुष से दिल लग जाने पर उसकी हत्या कर देते हैं, दहेज के लिए बहू की हत्या कर देते हैं वही काशमीरी लड़कियों से हमबिस्तरी के ख्वाब देख रहे हैं । ज़ाहिर है जब अपनी महिलाओं का ये हाल कर रहें हैं तो इनसे और क्या उम्मीद ! सवाल तो उन महिलाओं से है, जिनहे बार बार उनकी औकात दिखाई गई और आज फिर दिखाई जा रही है। क्या वे अपनी अस्मिता के लिए खड़ी होंगी, या पुरुष जितना भी क्यों न नीच दिखाया उसके चरणो मे अपना स्वर्ग खोजती रहेंगी?
वरिष्ठ लेखिका नूर ज़हीर हिन्दी उर्दू की चर्चित रचनाकार हैं. संपर्क:
noorzaheer4@gmail.com