अमेज़न क्यों जला?

विक्रम कुमार

आप आदिवासियों को लोकतांत्रिक मूल्य नहीं सिखा सकते. बल्कि आप लोगों को उनसे लोकतांत्रिक परंपराए सीखनी चाहिए. वे इस धरती पर सबसे ज्यादा लोकतांत्रिक लोग हैं.” मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा द्वारा संविधान सभा में दिए भाषण का एक अंश है.

आज जब अमेज़न का जंगल जला दिया गया इसकी वजह क्या थी वहां कौन लोग रहते थे, किनके घर उजड़े उस आग से वहां रहने वाले विभिन्न प्रकार के जीवजंतु और आदिवासीयों के. वहां रहने वाले ना जाने कितने आदिवासी मारे गए, यह सिर्फ अमेज़न की बात नहीं है, भारत में भी जब दिकु (बाहरी) लोग आते हैं तब भी यही होता है उनको बल छल से उनको उनके स्थान से भगा दिया जाता है उनकी हत्याएं की जाती है. फिर मिथकीय कथाओं के द्वारा उनको समाज में घृणित स्थान दे कर उनको समाज का दुश्मन ठहरा दिया जाता है, जयपाल सिंह मुंडा संविधान सभा में कहते हैं “मैं भूला दिए गए उन हजारों योद्धाओं की ओर से बोल रहा हूँ जो आजादी की लड़ाई में आगे रहे. लेकिन उनकी कोई पहचान नहीं है. देश के इन्हीं मूल निवासियों को पिछड़ी जनजाति, आदिम जनजाति, जंगली, अपराधी कहा जाता है. श्रीमान मैं बताना चाहता हूँ कि मुझे जंगली होने पर गर्व है. इस देश के अपने हिस्से में हम इसी नाम से पुकारे जाते हैं”

फोटो: BBC

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री पॉल कीटिंग ने अपने रेडफर्न पार्क भाषण में कहा कि ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी समुदायों को लगातार झेलनी पड़ रही समस्याओं के लिए यूरोपीय आप्रवासी ज़िम्मेदार थे: ‘हमने हत्याएँ कीं, हमने बच्चों को उनकी माताओं से छीन लिया, हमने भेदभाव और बहिष्कार किया।

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आखिर क्यों सभी को आदिवासियों की ज़मीन चाहिए? क्योंकि इनके जमीन के नीचे खजाना है ये खजाना कोयला उरेनियम अब्रख धातुओं के अयस्क और ना जाने कितने खनिज संपदाओं के रूप में है इन सब के लिए आदिवासीयों को उनकी जमीनों से बेदखल कर दिए जा रहे हैं उनकी हत्या कर उनका जमीन लूटा जा रहा है ये हत्या कभी प्रायोजित भीड़ द्वारा तो कभी पत्थलगड़ी को असंवैधानिक बोल कर तो कभी ग्रीनहंट के नाम पर सत्ता द्वारा की जा रही है झारखण्ड में कई ऐसे मामले आये सामने आये हैं. आज झारखण्ड में सबसे ज्यादा आदिवासी देशद्रोह के केस में जेलों में बंद हैं. वैसे ही एक दिन अमेज़न के आदिवासीयों को बोल दिया जायेगा की तुमलोग गैर अधिकारिक रूप से जंगलों में कब्ज़ा किये हुए हो और सब पे फर्जी मुकदमा चला कर जेल में डाल दिए जायेंगे और जो विरोध करेगा उसे मार दिया जायेगा.

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आज दुनिया भर में आदिवासियों पर खतरा मंडरा रहा है पूंजीवादी सत्ता का. भारत में ब्राह्मणवादी व्यवस्था पहले से ही आदिवासीयों को हिन्दू बता कर उनकी संस्कृति उनकी पहचान को ख़त्म कर रही है और आरएसएस बीजेपी जैसे ब्राह्मणवादी फासीवादी हिन्दूवादी संगठन आक्रामक रूप से उनको शारीरिक और मानसिक रूप से ख़त्म करने की प्रक्रिया में है. जिसे हम जंगल, नदी, पहाड़ों के रखवाले के तौर पर जानते हैं क्या वो थे में बदल जायेंगे? हम जानते हैं की अमेज़न के जंगल का 60% हिस्सा ब्राजील में आता है बांकी का अन्य देशों में. BBC अपने एक रिपोर्ट में बताती है की अमेज़न के जंगलों में इस साल आग लगने की रिकॉर्ड 75000 घटनाएं दर्ज की गई है और यह ब्राजील का सरकारी आंकड़ा भी है, नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस रिसर्च (इनपे) ने अपने सैटेलाइट आंकड़ों में दिखाया है कि 2018 के मुकाबले इसी दरम्यान आग की घटनाओं में 85 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. रिपोर्ट बताती है की अमेज़न के जंगल में वनस्पति और जीव जंतुओं की 30 लाख प्रजातियां और 10 लाख मूलनिवासी निवास करते हैं.

यहाँ की आदिवासी महिलायें एक स्तन से अपने बच्चे को दूध पिलाती है तो अपने दुसरे स्तन से गिलहरी के बच्चों दूध पिलाती वो तब तक स्तनपान कराती है जब तक वह बच्चा बड़ा ना हो जाए, ये आदिवासी महिलाएं उन बच्चों को अपने बच्चों की तरह देखभाल करती है, ये लोग हमारे धरती के पहले लोग हैं जिनका पूरी धरती पे अधिकार होना था आज उनका अस्तित्व खतरे में पड़ गया है. जयपाल सिंह मुंडा कहते हैं “पिछले छः हजार सालों से अगर इस देश में किसी का शोषण हुआ है, तो वे आदिवासीयों का हुआ है। उन्हें मैदानों से खदेड़कर जंगलों में धकेल दिया गया और हर तरह से प्रताड़ित किया गया,”

अमेज़न के जंगल में लगी आग एक सोची समझी साजिश है वहां के ज़मीन पर कब्ज़ा करने की और वहां के आदिवासियों को ख़त्म करने की प्रकृति को ख़त्म करने की. आज प्रकृति और उनके रखवाले दोनों को बचने की बहुत जरुरत है.

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