आज 25 दिसंबर 2022
सबकी जमीन बचाने की लड़ाई मैं जीती -अपनी लड़ाई हार गई…
मन मानने को तैयार ही नहीं हो रहा है की मैं अपने आशियाना को टूटने से बचा नहीं पाई। सभी सामाजिक लड़ाई जीतते रही, सबका जमीन, घर -द्वार बचाने में कामयाब रहीं, लेकिन मेरा आर्थिक रीढ़, मेरी चाय की दूकान की 3फिट जमीन को बचाने में बिफल रही।
1996 से सामाजिक न्याय की संघर्ष के रास्ते चलते रोजी रोजगार के लिए रांची के क्लब रोड़ में चाय नाश्ता की दूकान शुरु की। चाय दुकान चलाते बहुत उतार चढ़ाव देखे। चाय दुकान के साथ हमारी सफर 25 वर्ष पूरी हुईं। इन 25 वर्षो में सामाजिक न्याय के संघर्ष के यही मेरा आर्थिक आधार था। हमारे साथ समाज को जिंदगी यांही से मिली।।
आज मन उदास है, आगे नगर निगम पीछे सरकार।जीईल मिशन ने 9/15 फिट की जमीन मेरे पाती के नाम लीज में दी थी। इसके पीछे करीब 4 फिट जमीन पर दूकान का किचन था। आज इस किचन को सरकार हटाने के लिए मजबूर कर दिया। छत टूटा …मेरा मन टूटा .. सब लड़ाई मैने जीता, अपनी लड़ाई हार गई…
मेरे साथ सीधे तौर पर 10 परिवार बेरोजगार होगा.. बाकी मेरे पास शब्द नहीं…
वो दिन ताजा होता जा रहा है जब मेरे परिवार के हाथ से जमीन तकतवारों ने छीना था, जमीन वापसी का केस लड़ते मेरा परिवार कंगाल हो गया था। तब गांव से पलायन कर रांची पहुंचे थे। आगे और क्या होने वाला है… अब तो मन पत्थर हो चूका है….