द केरला स्टोरी सुदीप्तो सेन के निर्देशन में बनी फिल्म है. इसके निर्माता विपुल अमृतलाल शाह हैं, द केरला स्टोरी, यह फिल्म रिलीज से पहले से काफी चर्चा में है, चर्चा में होने की एक बड़ी वजह यह भी मानी जा रही है कि यह फिल्म इस देश के एक अल्पसंख्यक धार्मिक समुदाय को टारगेट करती है और कुछ एक उदाहरण जो रहे होंगे कन्वर्जन के,धर्म परिवर्तन के उनको पेश करके यह उस धार्मिक समुदाय को लक्षित करती है और यह बताती है अगर नहीं रोका गया तो पता नहीं केरल के किसी मुख्यमंत्री ने कभी कहा था कि 10 साल के पश्चात केरल एक मुस्लिम स्टेट हो जाएगा. धारणा आप समझ सकते हैं, इरादा आप समझ सकते हैं, इंटेन्ट आप समझ सकते हैं.
फिल्म के बहाने – कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री और व्यापक रूप से पूरी भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में जो एक दक्षिणपंथी प्रतिक्रियावादी और भक्त समुदाय का उदय हुआ है और वे जिस तरीके से फिल्में बना रहे हैं या दिखाना चाह रहे हैं और जिस लक्ष्य की पूर्ति करना चाह रहे हैं जिस विचार को वे फैलाना चाह रहे हैं यह उसी मकसद से बनी हुई फिल्म है,यह पूरी तरह से एजेंडा परक फिल्म है, प्रोपेगेंडा फिल्म है. अगर फिल्म की कसौटी पर, सिनेमाक्राफ्ट की कसौटी पर इस फिल्म को कसेंगे तो यह एक बहुत ही कमजोर फ़िल्म है. स्क्रिप्ट में दिक्कतें हैं, अभिनय में दिक्कतें हैं, परफॉर्मेंस क्वालिटी नहीं है, क्यों नहीं है? एक तो कलाकार ही ऐसे चुने गए हैं, अदा शर्मा हिन्दी फिल्मों की एक अभिनेत्री रही हैं,उन्हें मुख्य भूमिका मिली है, उनके अलावा लगभग नई लड़कियां हैं, लगभग नए लड़के हैं. नए लोगों को लेना कोई गलत बात नहीं है यह बहुत अच्छी बात है कि आपने नई प्रतिभाओं को मौका दिया है लेकिन क्या नई प्रतिभाओं में वह क्षमता है जो आपका अभिप्रेत है उसको अच्छे तरीके से पेश कर सके? ऐसा नहीं होता है.
क्या है इस फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी केरल के पृष्ठभूमि में है. वहां दिखाया गया है कि एक क्लास में पढ़ रही चार लड़कियां है. उनमें से एक मुस्लिम समुदाय की है, दो हिंदू धार्मिक समुदाय की है और एक ईसाई है. मुस्लिम लड़की आसिफा काफी एक्टिव है वह इन दोनों- तीनों को बरगलाती है और कोशिश करती है कि इनका धार्मिक परिवर्तन कर दिया जाए वो इस्लाम कबूल कर ले. वह हमेशा इनका ब्रेनवाश किया करती है. यहां तक कि हिंदू देवी देवताओं का भी मजाक उड़ाती है और ईसा मसीह का भी मजाक उड़ाती है और बताती है कि सिर्फ अल्लाह ही है जो इस दुनिया को बचा सकता है. यह बिल्कुल एकांगी चित्रण है उस मुस्लिम लड़की का और कहीं ना कहीं निर्देशक और लेखक यह साबित करना चाहते हैं या बताना चाहते हैं कि यह समुदाय कितना प्रोएक्टिव है और किस तरीके से कन्वर्जन की तैयारियां कर रहा है, लोगों को कन्वर्ट कर रहा है.
क्या है धर्मान्तरण की असली हकीकत
ऐसा कहते हैं कि केरल में कन्वर्जन हुआ है तो कन्वर्जन की वजहों में जाना चाहिए. यह फ़िल्म उन वजहों की बात नहीं करती है. क्यों किसी एक खास धर्म के नागरिक एक खास समय पर।धर्म परिवर्तन करते हैं. धर्म परिवर्तन करने की जो कहानियां हैं उनके पीछे आप जाएं तो सबसे बड़ा कारण आर्थिक उसके अलावा असमानता उसके अलावा प्रलोभन. प्रलोभन किस चीज का? कैरियर का.प्रलोभन, एक अच्छी जिंदगी का प्रलोभन अगर कोई धार्मिक समुदाय अपने पंथ के व्यक्तियों को अपने पंथ के नागरिकों को सही जीवन नहीं दे पा रहा है और वह कहीं घुटन महसूस कर रहा है तो वह दूसरे धर्म में जाता है. अंबेडकर के समय काफी लोगों ने बौद्ध धर्म धारण कर लिया था, ऐसे ही इस्लाम में काफी लोग गए. हिंदू धर्म में भी काफी लोगों को लाया गया है. यह हमेशा होता रहा है, किस प्रकार से बौद्ध धर्म जो भारत में बहुत ही प्रचलित धर्म था, उसको खत्म किया गया और कैसे हिंदू आए यह सभी कहानी अगर आप इतिहास में जाते हैं, अगर हम इस तरह की बातें करते हैं तो इन सारे डिटेल में भी जाना पड़ेगा. मुझे यह फिल्म बेहद कमजोर लगी है, प्रोपेगैंडिस्ट लगी है. एजेंडा परक लगी है. और एक खास इरादे से बनाई गई फिल्म जान पड़ती है, बाकी आप जब देखे अपनी राय दें.