काश ! ऐसी पत्नियाँ, बहनें समाज का अधिकतम सच हो जायें!
ज्योति प्रसाद
क्या आपको मदर इण्डिया फिल्म का अंतिम दृश्य याद है? क्या आपको राधा, जिसका किरदार हिंदी सिनेमा की अदाकारा नरगिस ने निभाया था,...
सुप्रीम कोर्ट का दहेज़ संबंधी निर्णय यथार्थ की जमीन पर
अरविंद जैन
पिछले दिनों अपने ही एक निर्णय को पलटते हुए सुप्रीमकोर्ट ने दहेज़ के मामलों में जो नयी व्यवस्था दी है, वह स्वागत योग्य...
माहवारी में थोपे गये पापों से मुक्ति हेतु कब तक करते रहेंगी ऋषि पंचमी...
विनिता परमार
हिन्दू व्रतों की स्त्रियों और गैर ब्राह्मण समुदायों के प्रति दुष्टताओं को लेकर आयी यह छोटी सी टिप्पणी जरूर पढ़ें. देखें कैसे अशुद्धि,...
बलात्कारी परिवेश में रक्षाबंधन पर एक बहन का नोट्स:
ज्योति प्रसाद
अपने समय से कट जाना बड़ा ही मुश्किल काम है. और जो लोग इस तरह से कट
जाने में सफल रहते हैं वास्तव में...
मंडल मसीहा को याद करते हुए
लेखक : प्रेमकुमार मणि
25 अगस्त उस विन्ध्येश्वरी प्रसाद मंडल का जन्मदिन है , जिनकी अध्यक्षता वाले आयोग के प्रस्तावित फलसफे को लेकर 1990 के...
भीड़ का वहशीपन : धर्मोन्माद या इंसानी बर्बरता ?
नूर ज़हीर
डायन के नाम पर, विच हंटिंग के नाम पर, सती के नाम पर, सम्मान के नाम पर महिलाएं पूरे ग्लोब पर मॉब लिंचिंग की...
साम्प्रदायिक हिंसा से अलग तासीर है मॉब लींचिंग की
इरफान इंजीनियऱ
पिछले कुछ वर्षों में मॉब लिंचिंग (भीड़ द्वारा व्यक्ति या व्यक्तियों को पीट-पीटकर मार डालना) की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हुई है,...
समकालीन हिन्दी-उर्दू कथा साहित्य में मुस्लिम स्त्रियाँ: संघर्ष और समाधान
डा. शगुफ़्ता नियाज़
समकालीन हिन्दी-उर्दू कथा साहित्य में मुस्लिम स्त्रियों के मुद्दों और उनकी छवि को लेकर शगुफ़्ता नियाज़ का एक पठनीय आलेख. हालांकि इस आलेख में...
छायावादी कविता में पितृसत्तात्मक अभिव्यक्ति
मनीष कुमार
भक्तिकाव्य के बाद छायावादी काव्य अपनी युगीन संवेदनशीलता में अद्वितीय है| दो विश्व-युद्धों के बीच के इस युग की यह अद्वितीयता महज़ कैशोर्य...
आदिवासी स्त्री जिसे मीडिया प्रस्तुत नहीं करती है
अंजली
मीडिया से अलक्षित आदिवासी स्त्री-छवि और मीडिया द्वारा स्टीरिओटाइप का विश्लेषण कर रही हैं अंजली
स्त्री को वैश्विक स्तर पर एक इकाई माना गया है...