मिथक और स्त्री आंदोलन का अगला चरण
संजीव चंदन
‘रिडल्स इन हिन्दुइज्म’ में डा. बाबा साहेब अंबेडकर इतिहास लिखने से ज्यादा इतिहास की व्याख्या को महत्वपूर्ण मानते हैं. भारतीय इतिहास के बहुत...
एक पत्र जो उसने आत्महत्या का निर्णय टालने के पूर्व लिखा था
शैक्षणिक संस्थाओं में कुछ सवर्ण महिलाओं द्वारा अत्याचार और उत्पीड़न की घटनाएं लोगों को अजीब लग सकती हैं यह भी तब जब स्त्रियों को भी शिक्षा प्राप्त करने में बहुत मशक्कत करनी पड़ी हो, किन्तु यह एक बड़ा सत्य है। आज सदियों बाद दलित स्त्रियों की पहली पीढ़ी उच्च शिक्षा ग्रहण कर रही हैं । घर और बाहर दोनों जगह काम उसे तो करना ही पड़ता है इसके साथ ही साथ उसके साथ जातिगत भेदभाव और उसकी अवमानना निरन्तर होती है। उसकी शिक्षा की प्रगति में बाधक कुछ सवर्ण महिलाएं विभिन्न और अतिरिक्त कार्यभार सौंप देती हैं ताकि वह वहां तक पहुंच ही न पाए।
वे कुन्तियाँ नहीं गौरव से भरी माँ हैं
संजीव चंदन
वह कहती है, "मैं विकलांग हूँ, मेरा बच्चा ही मेरा सहारा होने वाला था, इसलिए मैंने निर्णय लिया कि मैं उसे जन्म दूंगी....
आदिवासी युवती की हत्या को आत्महत्या करार देने की पुलिसिया साजिश (सामूहिक बलात्कार की...
किसके दवाब में वर्धा, महाराष्ट्र की पुलिस, महिला एसपी सहित, आदिवासी युवती की हत्या को आत्महत्या करार देने में लगी है? लाश जिस हालत...
पेरियार: महिलाओं की आजादी का पक्षधर मसीहा
ललिता धारा
महिला दिवस पर विशेष
पेरियार की मूर्ति को नुकसान पहुंचना समतावादी आंदोलन और विचार के प्रति प्रतिगामियों के गुस्से की बानगी है. आइये आज...
दलित छात्रा ने की आत्महत्या मोदी सरकार के फैसले को कोर्ट में उसने दी...
नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट यानी नीट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में बहस करने वाली तमिलनाडु के अरियालुर जिले की दलित लड़की अनीथा ने...
‘तिवाड़ी परिवार’ में जातिभेद और छुआछूत बचपन से देखा
हमारी संस्था ने इसी समाज की बालिकाओं के छह – छह महीने के दो आवासीय शिविर किए. शिविर के समापन समारोह में प्रोफेसर श्यामलाल जैदिया को भी आमंत्रित किया. उन्होंने अपने उद्बोधन में बताया कि मैं भी आपके ही समाज से हूँ लेकिन मेहनत करके आज जोधपुर यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर पद से रिटायर हुआ हूँ. बचपन में मैं इसी यूनिवर्सिटी में मेरी माँ के साथ मैला ढोने (शौचालय साफ़ करने) जाता था.
एक अंग्रेज़ी-भाषी बंगाली दलित महिला की कशमकश
दृशद्वती बार्गी
जाधवपुर विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य में स्नात्कोत्तर. स्त्री अध्ययन केंद्र से एमफिल . संपर्क drishadwatibargi@gmail.com
( यह आलेख हर किसी को...
आदिवासी लेखिकाओं ने की आदिवासी महिलाओं के खिलाफ लेखन की निंदा लेकिन लेखन पर...
देश की वरिष्ठ और युवा आदिवासी महिलाओं ने एक स्वर से हांसदा सौभेन्द्र शेखर के लेखन की भर्त्सना की है जिसमें उसने आदिवासी स्त्रियों...
समग्र क्रांति का स्वप्न: अखिल भारतीय दलित महिला सम्मेलन
निशा शेंडे
स्त्री अध्धयन विभाग अमरावती 'विश्वविद्यालय' में प्राध्यापिका
shende_nisha7@yahoo.com
20 जुलाई 1942 को पहला अखिल भारतीय दलित महिला फेडरेशन की परिषद संपन्न हुई. यह वर्ष हम...