वेश्यावृत्ति को कानूनी बनाना समस्या का समाधान नहीं : महिला संगठन

( पिछले दिनों राष्ट्रीय महिला आयोग की नवनियुक्त अध्यक्ष ने यौनकर्म को कानूनी दर्जा देने की वकालत की थी , जिसके खिलाफ स्त्री अधिकार के लिए सक्रिय राजनीतिक और अन्य संगठनों ने अपनी राय दी . यह पत्र आयडवा, एन एफ आई डवल्यु और जे डव्ल्यु पी ने लिखा है . अनुवाद डा . अनुपमा गुप्ता )

स्त्रीकाल में यौनकर्म पर अन्य शोध आलेख और रपटें पढने के लिए नीचे के लिंक पर क्लिक करें

दिल्ली में नाइजिरियन यौन दासियां
इतिहास का अन्धकूप बनाम बन्द गलियों का रूह -चूह : पहली किस्त
इतिहास का अन्धकूप बनाम बन्द गलियों का रूह -चूह : आखिरी किस्त 

माननीय अध्यक्ष
राष्ट्रीय महिला आयोग
दिल्ली

सबसे पहले हम सभी स्त्री –संगठन आपको राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा बनने पर बधाई देना चाहते है;साथ ही आशा करते है कि आपके कार्यकाल के दौरान स्त्रियों के हित न सिर्फ सुरक्षित रहेंगे,बल्कि नए सोपान छूयेंगे  !

हम आपका ध्यान मीडिया में चर्चित उस वक्तव्य की ओर आकर्षित करना चाहते है,जिसमे महिला आयोग की अध्यक्षा के तौर पर आप वेश्यावृति को कानूनी रूप से मान्य करने के पक्ष में है और जिसमे आपने वेश्याओं को ‘सेक्स वर्कर’ के रूप में  पुनर्परिभाषित करने तथा इस कार्य को स्त्रियों के लिए रोजगार के विकल्प की तरह देखने का समर्थन किया है! इस वक्तव्य में जिक्र है कि आप इस मुद्दे पर अपनी सिफारिशें जल्द ही एक उच्चस्तरीय संसदीय समिति को भेजेंगी !

महोदया, आपके इस दृष्टिकोण पर हम अपनी गंभीर चिंता से आपको अवगत कराना चाहते है,क्योंकि हमारी नजर में स्त्रियों के जीवन की सच्चाइयों एवं वेश्यावृति में जबरन धकेले जाने के खिलाफ उनके संघर्षों से यह दृष्टिकोण  अलग दिखाई देता है !हालाकिं आपके वक्तव्य से वेश्यावृति में निहित स्त्रियों के शोषण के प्रति  आपकी वाजिब चिंता झलकती है,फिर भी हम, जो कई दशकों से स्त्रियों के लिए और उनके  बीच काम कर रहे है, आपको बताना चाहते है कि  समस्या के ऐसे हल  निकालने की कोशिश से इन स्त्रियों की तकलीफों में और वृद्धि ही होगी तथा उनका शोषण और भी बढ़ जाएगा ! अत: हम आपसे अनुरोध करते है की इस मुद्दे से जुड़े निम्न पहलुओं पर विचार करके आप अपने आग्रह का पुनरावलोकन करें .

यह एक दुखद सत्य है की वेश्यावृति में संलग्न स्त्रियों (तथा बचिच्यों) का एक बड़ा हिस्सा कम उम्र में ‘मानव व्यापार’ का परिणाम है !कृषि कर्म तथा अन्य  रोजगारों में स्त्रियों के कार्य करने के अवसरों में आई कमी और अपने आश्रित परिवार –जनों के लिए साधन जुटाने का दबाव ही  उन्हें इस जंजाल में धकेल देता है! इसीलिये वेश्यावृति अपनाने वाली स्त्रियों की बहुसंख्या सबसे शोषित, पिछड़े वर्गों दलित व आदिवासी समुदायों से होती है!  जिनके पास रोजगार का कोई और विकल्प उपलब्ध ही नहीं है !वेश्यावृति दरअसल किसी स्त्री की मजबूरियों की चरम –अविव्यक्ति है, इन मजबूरियों पर ध्यान देना हमारा पहला उद्देश्य होना चाहिए ! कानूनी मान्यता देने से  वेश्यावृति अंतररास्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा परिभाषित ‘गरिमापूर्ण शालीन एवं सुरक्षित’ रोजगार में तब्दील नहीं हो जायेगी !

यह एक अपमान भरा अमानवीय व्यापार है !साथ ही हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि इनमे से बहुत सी वेश्यायें  दरअसल किशोर-किशोरियों और छोटे बच्चे है! कोठे में एक बार प्रविष्ट होने के बाद वे वहीँ फंसे रह जाते है ! उनके पास बाहर  निकलने के मार्ग बहुत ही कम होते हैं क्योंकि दलालों एवं कोठा मालिकों आदि का समूचा कुटिल तंत्र इस दिनों दिन तरक्की करते उधोग में अपने फायदे के लिए लगातार जुटा  रहता है ! नव –उदारवाद के इस युग में स्त्री को उपभोक्ता सामग्री बना देने का चलन और भी बढ़ गया है! इस व्यापार को समाज में स्वीकार्य बनाने की कोशिश की जा रही है, और इस नजरिये को बढ़ावा दिया जा रहा है कि यह भी बाकी के बाजारों की तरह ही है, जिसमे कुछ उपभोक्ता किसी सेवा की मांग करते है और अन्य उस मांग की पूर्ती (demand and supply )!हम इस बात पर जोर देना चाहते है कि  इस व्यापार में किसी स्त्री को जबरन यह कार्य करने के लिए मजबूर करने वाले के पक्ष को समझना जरुरी है !और यह भी की यह सारी प्रक्रिया एक शोषणतंत्र द्वारा अंजाम दी जाती है ! यह कोई ऐसा रोजगार नहीं है, जिसे  स्त्रियाँ अपनी इच्छा से करें ! वेश्यावृति में उनकी उपस्थिति का उनके ‘स्वयं के चुनाव’ से कोई सरोकार नहीं है! एक बार यह चुनाव उनके ऊपर थोप दिया गया तो वे इस तंत्र का हिस्सा हो जाती है और अंततः इसके घृणित तर्कों को मनाने पर मजबूर हो जाती है!
लाइसेंस देने और कानूनी मान्यता से देह-व्यापार रुक नहीं सकेगा बल्कि उसे और बढ़ावा ही मिलेगा !शोषण कम होने की बजाय उससे कई नए तारीके निकल आने के संभावनाएँ बढ़ जायेंगी ! कई विकसित देशों ,जैसे जर्मनी का अनुभव यही बताता है और इसलिए अब वहां वेश्यावृति के कानूनी मान्यता फिर से रद्द करने के प्रस्ताव पर विचार  किया जा रहा है !

अत: हम सभी राष्ट्रीय  स्त्री संगठन आपसे आग्रह करते है कि  इस मुद्दे की गहराई से पड़ताल करे और तभी किसी प्रकार के परिवतर्न की सिफारिश मंत्रालय से करें ! इसके लिए विधि विशेषज्ञों, जमीनी कार्य कर रहे स्त्री संगठनों तथा वेश्याओं के बीच कार्य करने वाले स्वयंसेवी दलों के साथ गंभीर चर्चा जरुरी है ताकि नीतियों का स्पष्ट व ठोस ढांचा तैयार किया जा सके, जिसमे इन स्त्रियों के हित प्रतिबिंबित हो सकें
इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए हमारी मांग है कि  :-
१. देह –व्यापार (trafficking) को रोकने पर जोर दिया जाये,IIPA  तथा IPC सेक्शन ३७० को कड़ाई से लागू किया जाए !
२. वेश्यावृति में संलंग स्त्रियों व बच्चे के लिए वैकल्पिक रोजगारों के अवसरों को निर्मित तथा उनके पुनर्वास के सक्रिय तरीकें को प्राथमिकता !
३. उनके मूल मानवाधिकारों के रक्षा के लिए विशेष कदम
४. उनके बच्चों की शिक्षा की गारंटी
५. स्त्री-समुदाय के लिए बेहतर रोजगार के अवसर ताकि उन्हें  वेश्यावृति में जाने से रोका जा सके !
हमें आशा है कि  स्त्रियों के अधिकारों के रक्षा और विकास के लिए बनी इस संस्था द्वारा  मंत्रिमंडल को भेजी जाने वाली पहली सिफारिश में स्त्री-संगठनों की इन चिंताओं को शामिल किया जायेगा ! हमारा अनुरोध है कि  मंत्रालय को सिफारिश भेजने के पहले ऊपर उल्लखित बिन्दुओं पर पर्याप्त विचार विमर्श किया जायेगा !

धन्यवाद !

AIDWA,JWP NFIW

Related Articles

ISSN 2394-093X
418FansLike
783FollowersFollow
73,600SubscribersSubscribe

Latest Articles