क्रांति ज्योति सावित्रीबाई फुले
सावित्री हमारी अगर माई न होती
तो अपनी कभी भी पढ़ाई न होती
जानवर सा भटकता मैं इंसान होकर
ज्योति शिक्षा अगर तूं थमाई न होती
ये देह माँ ने दिया पर सांस तेरी रही
ये दिया ही न जलता, गर तूं बाती न होती
किसकी अंगुली पकड़, चलता मैं दिन ब दिन
गर तूं शिक्षा की सरगम सुनाई न होती
गीत हम गा रहे हैं जो खुशी के लिये
ये ज़ुबां ही न खूलता, गर तूं आयी न होती
कौन कहता ये एहसान नहीं भूलना
नारी विधवा दलित गर उठाई न होती
अनपढ़ बेढंगी यह दुनिया समझती
ज्ञान का बिगुल गर बजाई न होती
अछूतों का कोई नामों निशां न होता
तोड़ी जातियो की अगर कलाई न होती
बरसता मजलूमों के आँखॊं से सावन
गोद में ले अगर माँ हँसाई न होती
कौन जलते हमारे बदन को बचाता
धूप में छाँव बन गर तू छाई न होती
ज़ुल्म से बचाती क्या आँचल में ढँक के
ज़ालिमों पर अगर माँ सवाई न होती
मर्तबा आसमां से न बड़ा उसका होता
जाति खाई से हमें गर उठाई न होती
क्या तेरे ऊपर लिखूं,मैं तो कुर्बान हूँ
ये कलम गर हमारी, तुम्हारी न होती
पहनाता क्या आँसू की माला तुम्हें
माँ दौलत अगर ये तुम्हारी न होती
मैं न होता मेरा कोई,अफ़साना क्या
मेरी तहरीर गर मेरी माई न होती
कौन माँ सी निगहबां यहाँ सोचता
तू कलम की, अगर माँ सिपाही न होती
जख्म पर कौन ममता का मरहम लगाता
डाक्टर बन अगर की दवाई न होती
न शादी विधवाओं का होता कभी
केशवपन को अगर तूं मिटाई न होती
कोई आलिम न होता जहाँ में यहाँ
माँ सबक गर यह सबको पढ़ाई न होती
समता शिक्षा का तूफान चलता भी क्या
‘बागी’ फूले संग लड़ी गर लड़ाई न होती
सम्मति : क्रांतिकारी कवि बागी को जब भी मौका मिले सुनिये और उनकी किताब “आकाश नीला है” को पढिये । दलित कविता को इस नयी पीढ़ी के कवि ने वो धार और लोकप्रियता दी है जो पहले हिन्दी दलित कविता की पहचान नहीँ थी…बधाई बागी जी…. प्रो. सूरज बडत्या
सावित्रीबाई फुले : शैक्षिक –सामाजिक क्रान्ति की अगुआ
बाल गंगाधर “बागी”
शोध छात्र- जे एन यू, नई दिल्ली
फोन न. 09718976402……… Email. balgangadhar305@gmail.com
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