लेकिन यह न्यू नॉर्मल वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री के लिए सुखद खबरें लेकर नहीं आने वाला है. पहले से ही महिला सांसदों, उनके मंत्री और कई नामचीन हस्तियों ने उन्हें इस पर पुनर्विचार का आग्रह करते हुए ‘लहू पर लगान’ टैग लाइन से सोशल मीडिया पर अभियान चला रखा था. अब एक अपुष्ट खबर है कि यह एक आंदोलन की शक्ल लेने वाला है. दो दिन पहले ही अभिनेत्री कोंकणा सेंन ने कहा कि ‘जिस प्राकृतिक शारीरिक स्थितियों पर आपका नियंत्रण नहीं हो सकता, उसे विलासिता कैसे कहा जा सकता है और उसपर 12% टैक्स कैसे लगाया जा सकता है.’ इस निर्णय से नाराज महिलाओं का कहना है कि” सैनिटरी पैड महिलाओं के स्वास्थ्य से सीधे जुड़ा मामला है, और उसपर सरकार टैक्स लगाती है, जबकि कंडोम और कंट्रासेप्टिव पर नहीं.”
कंडोम और कंट्रासेप्टिव भी महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ा है-खासकर प्रजनन पर आंशिक अधिकार और अनचाहे गर्भ से मुक्ति के प्रसंग में. इन दोनो अनिवार्य उत्पादों का संबंध दरअसल महिलाओं के प्रजनन और सेक्स से जुड़ा मामला है, जिससे पुरुष का अपना वंश जुड़ा है और राज्य की जनसंख्या संबंधी नीति भी, इसके माध्यम से राज्य और परिवार एक हद तक जनसंख्या पर कंट्रोल रखना चाहता है. लेकिन सैनिटरी पैड सीधे महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ा है, जो असंवेदनशील और पुरुषवादी राज्य के लिए एक गैरजरूरी प्रसंग है. इससे स्वास्थ्य के प्रति राज्य का रवैया भी स्पष्ट होता है, जिसके तहत अपने स्वास्थ्य की रखवाली नागरिक का निजी मुद्दा है.
जजिया कर से भी ज्यादा बड़ी तानाशाही है लहू का लगान
सैनिटरी पैड खरीदने आई महिलाओं ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि ‘यदि सैनिटरी पैड विलासिता की वस्तु है जिसके कारण उसपर 12% जीएसटी लगाया जा रहा है तो क्यों न वह विलासिता वस्तु हमारे वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री को गिफ्ट के तौर पर भेजा जाये. हम सैनिटरी पैड खरीदकर कर 12% जीएसटी बिल के भुगतान की रसीद के साथ उन्हें भेजते हैं, जिसका भुगतान उन्हें नहीं करना पड़ेगा.’