राम रहीम केस
डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को सजा सुनाते हुए सीबीआई के स्पेशल जज जगदीप सिंह ने तीखी टिप्पणियां भी कीं। उन्होंने गुरमीत राम रहीम को किसी तरह की दया के काबिल न मानते हुए उसकी तुलना जंगली दरिंदे से की।
कोर्ट इस नतीजे पर पहुंचा कि अगर अभियुक्त ने अपनी पवित्र शिष्याओं को ही नहीं बख्शा और उनके साथ जंगली दरिंदे की तरह बर्ताव किया तो वह किसी तरह दया का पात्र नहीं है। जिस आदमी का मानवीयता से कोई नाता नहीं हो और जिसकी प्रवृत्ति में कतई रहम न हो, वह कोर्ट की नरमी का पात्र नहीं हो सकता है।
कोर्ट ने कहा कि अपनी शिष्याओं का यौन शोषण करने और उन्हें खौफनाक हश्र की धमकी देने वाला शख्स कोर्ट की सहानुभूति के लायक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि रेप केवल शारीरिक आघात नहीं है। यह पीड़िता के संपूर्ण व्यक्तित्व को नष्ट कर देता है। दोनों पीड़िताओं ने अभियुक्त को `भगवान` की जगह बैठा रखा था और उसे इसी तरह पूजती थीं। लेकिन अभियुक्त ने ऐसे मासूम और अंध अनुयायियों के साथ यौन हिंसा कर विश्वास को भयावह रूप से खंडित किया। एक अभियुक्त जो एक धार्मिक संस्था डेरा सच्चा सौदा का प्रमुख बताया गया है, की ऐसी आपराधिक कारगुजारी इस देश में स्मृति से भी पहले से चली आ रही पवित्र, पूज्य, आध्यात्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक संस्थाओं की छवि को तोड़ देगी। अभियुक्त के कृत्य ने इस प्राचीन धरा की धरोहर को अपूर्णीय क्षति पहुंचाई है।
कोर्ट ने महात्मा गांधी को भी उद्धृत किया, “नारी को अबला कहना उसकी निंदा करना है; यह पुरुष का नारी के प्रति अन्याय है। यदि शक्ति का अर्थ पाशविक शक्ति है तो सचमुच पुरुष की तुलना में स्त्री में पाशविकता कम है। और यदि शक्ति का अर्थ नैतिक शक्ति है तो स्त्री निश्चित रूप से पुरुष की अपेक्षा कहीं अधिक श्रेष्ठ है। क्या उसमें पुरुष की अपेक्षा अधिक अंतःप्रज्ञा, अधिक आत्मत्याग, अधिक सहिष्णुता और अधिक साहस नहीं है? उसके बिना पुरुष का कोई अस्तित्व नहीं है। यदि अहिंसा मानव जाति का नियम है तो भविष्य नारी जाति के हाथ में है… हृदय को आकर्षित करने का गुण स्त्री से ज्यादा और किसमें हो सकता है?“
निर्भया केस
दोपहर 2.03 बजे
सुप्रीम कोर्ट के तीनों जज- जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस आर. भानुमति कोर्ट में आए। जस्टिस मिश्रा और जस्टिस भूषण ने हर चीज को रिकॉर्ड में लिया। जस्टिस मिश्रा और जस्टिस भूषण दाेषियों को फांसी के फेवर में थे। कोर्ट ने 20 मिनट में फैसला सुनाया।
. बेंच ने अपने फैसले में हर डिटेल पर गौर किया, जैसे गैंगरेप के बाद पीड़िता ने दर्द झेला, उसके प्राइवेट पार्ट में लोहे की रॉड तक घुसाई गई और उसे फ्रेंड के साथ बस से बाहर फेंक दिया गया।
. कोर्ट ने कहा, “घटना को बर्बर और बेहद क्रूर तरीके से अंजाम दिया गया। दोषियों ने विक्टिम को अपने एन्जॉयमेंट के लिए इस्तेमाल किया। फैसले में रहम की गुंजाइश नहीं है।”
. “घटना समाज को हिला देने वाली थी। घटना को देखकर लगता है कि ये धरती की नहीं बल्कि किसी और ग्रह की है। घटना के बाद सदमे की सुनामी आ गई।”
. आखिरी फैसले के बाद कोर्ट रूम में तालियां बजीं। ‘पीड़िता के बयान पर शक नहीं किया जा सकता’
. बेंच ने कहा, “दम तोड़ रही विक्टिम का बयान अभी तक कायम है। उस पर किसी लिहाज से शक नहीं किया जा सकता। उसके हावभाव सारी घटना को बता रहे थे। डीएनए टेस्ट से भी दोषियों के मौके पर होने का पता चलता है।”
. “दोषियों ने विक्टिम को बस से कुचलकर मारने की कोशिश भी की। बाद में सिंगापुर में इलाज के दौरान निर्भया की मौत हो गई। लोगों को तभी भरोसा आएगा, कठोरता से फैसला हो। घटना समाज को झकझोर देने वाली है। ये रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस है।”
जस्टिस भानुमति ने क्या कहा?
. अलग से दिए अपने फैसले में जस्टिस भानुमति ने कहा, “मौत की सजा सुनाने के लिए अगर इस केस को रेयरेस्ट ऑफ रेयर नहीं कहा जाएगा तो फिर किसे कहेंगे।”
. “दोषियों का बैकग्राउंड, उम्र, कोई आपराधिक रिकॉर्ड न होना और जेल में अच्छा बर्ताव जैसी चीजें कोई मायने नहीं रखतीं।”
क्रमशः
janchaowkcom और bhaskacom से साभार
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