20 जुलाई 1942 को नागपुर में सुलोचनाबाई डोंगरे की अध्यक्षता में अखिल भारतीय महिला परिषद परिषद संपन्न हुई थी. इस परिषद की विशेषता यह थी कि परिषद में डॉ. बाबासाहब आंबेडकर स्वयं उपस्थित थे. दलित महिलाओं का अलग संगठन हो, यह इच्छा स्वयं डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की थी. लगभग पच्चीस हजार महिलायें इस परिषद में रूप से सहभागी हुई थी. उनका उत्साह एक नई क्रांति का बिगुल बजा रहा था. यह एक क्रांतिकारी सम्मेलन था. दलित, शोषित, वंचित बहुजन समाज की महिलाओं की आवाज संपूर्ण क्रांति की मांग करती नजर आ रही थी. यह परिषद अपने आप में दुनिया की ऐतिहासिक परिषद थी. इस परिषद में हुई घोषणा एवं मांगें महत्वपूर्ण थी.
सुलोचनाताई डोंगरे |
22 से 24 तक होने वाले इस त्रिदिवसीय सम्मलेन में ‘भारतीय महिलाओं के उत्थान में बुद्ध, फुले और डा. बाबा साहेब अम्बेडकर का योगदान’, ‘अनुसूचित जाति-जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग की महिलाएं और संविधान’, ‘शोषित पीड़ित महिलों के मुक्ति मार्ग’ जैसे विषयों पर बातचीत की जायेगी
इस कार्यक्रम की एक ख़ास ऐतिहासिकता यह भी है कि 1942 में तीन दिवसीय सम्मेलन की अध्यक्षता सुलोचना ताई डोंगरे ने की थी आज उनकी दूसरी पीढी, उनकी भांजी, मनीषा बांगर इस सम्मेलन के उदघाटन सत्र की अध्यक्षता कर रही हैं. इस ऐतिहासिक पुनः आवृत्ति के संबंध मनीषा बांगर कहती हैं कि आयोजकों ने पिछले कई वर्षों से बहुजन भारत के लिए मेरे काम को सम्मान दिया है.