संतोष कुमार
मुजफ्फरपुर के बालिकागृह में यौन शोषण मसले पर आज जहां विपक्ष के तेवर हमलावर हैं वहीं सत्तापक्ष इसे बिहार की छवि खराब करने से जोडकर अपना बचाव कर रहा है. लेकिन इसकी समग्र जांच के लिए क्या राजनीतिक साहस बिहार के राजनीतिक दायरे में है? उधर एक जिले के बालिका गृह में यौन शोषण के तार कई और जिलों से जुड़ते दिख रहे हैं. इस मामले को उठाने में शुरू से सक्रिय और पटना हाईकोर्ट में सीबीआई जांच के लिए जनहित याचिका दायर करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता संतोष कुमार इस मामले की तह में जाने की कड़ी में स्त्रीकाल में सिलसिलेवार लिखेंगे:
विधान परिषद के बाहर राबडी देवी के नेतृत्व में आवाज उठाता विपक्ष |
दिनेश कुमार शर्मा, ADCPU(Assistant Director Child Protection Unit) द्वारा महिला थाना मुजफ्फरपुर में मई, 2018 के आख़िरी सप्ताह में इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई, जिसका आधार बनी टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल सांयसेज (TISS),मुम्बई की सोशल ऑडिट रिपोर्ट. 26 मई को सब्मिट की गयी सोशल ऑडिट रिपोर्ट के पेज नम्बर 52 में उल्लिखित है कि” The girl children in Muzaffarpur run by ‘Seva Snkalp Evam Vikash Samiti’ was both find by us to running highly questionable manner along with grave instance of violation that was reported by the residents. Several girls reported about violence and being abused sexually. This is the very serious and need to be further investigation promptly. Immediate legal procedure must be followed to enquire into the charges and corrective measures be taken” इसी को आधार बनाकर प्राथमिकी 30/05/2018 को की गई जिसे 31/05/2018 को महिला थाना ने केस नवम्बर 33/18 को u/s 120(B)/376/34 IPC & 4/6/8/10/12 POCSO Act के तहद मामला दर्ज हुआ।
एफआईआर दर्ज होने के बाद बच्चियों ने न केवल पुलिस पदाधिकारियों के सामने बल्कि धारा 164 में मजिस्ट्रेट के सामने भी अपनी आपबीती सुनाई जो रूह कांप जाने वाला है। अपनी आपबीती में बच्चियों बताया कि एक बच्ची ने जब जबरन यौन शोषण का विरोध किया तो उसे इतना मारा-पीटा गया कि उसकी वहीं, यानी बलिकागृह में ही मौत हो गई। उसके शव को उसी के अहाते में कहीं दफना दिया गया। पॉक्सो कोर्ट ने डीएम को मजिस्ट्रेट की निगरानी में वीडियो रिकार्डिंग के साथ उस जगह की खुदाई के लिए आदेश दिया था। प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी शीला रानी गुप्ता सहित अन्य सीनियर पुलिस ऑफिसर की निगरानी में 23/07/2018 को न्यूज चैनलों के कैमरे की नजरों के बीच खुदाई शुरू हुई। ख़ुदाई शुरू होने से पूर्व उन तीन बच्चियों को उस जगह को शिनाख़्त करने के लिए पटना से लाया गया जिन्होंने हफ्तों पहले इसके बारे में बताया था। सोमवार के सुबह से न्यूज चैनलों के ओवी वैन, कमरों के साथ-साथ आस-पास के लोगों का जमावड़ा होने लगा था।
जगह की निशानदेही के लिए पटना से लायी गयी बच्ची को सीधे उस परिसर में, जहां जेल में बंद बलिकागृह-संचालक ब्रजेश ठाकुर का आवास भी है, लाया गया। निशानदेही पर मिनी जेसीबी बॉब कट मशीन से खुदाई की गई। करीब चार फीट गहरी खुदाई के बाद लाश दफन किये जाने का साक्ष्य नही मिला। नीचे जायजा लेने पर एक सुरंग दिखा पर शव का कोई अवशेष नहीं मिला। मजिस्ट्रेट के आदेश पर दूसरी जगह भी खुदाई की गई। इसके लिए स्वान डॉग की भी मदद ली गई।
एसएसपी ने बलिकागृह का रजिस्टर देखने के बाद कहा कि यहां तीन अन्य किशोरियों की पहले मौत हुई है? फिर यह सवाल अनुत्तरित है कि मरने के बाद शव का पोस्टमार्टम कराया गया या नही? समाज कल्याण विभाग ने इस पर क्या कार्यवाही की? मर चुकी किशोरियों के परिजनों का क्या कहना है? इस तमाम बिन्दुओं को लेकर जांच टीम गठित की गई है।
मालूम हो कि इस कांड में मुजफ्फरपुर बालिकागृह में 29 किशोरियों, जिनमे 7 साल की एक बच्ची है, के बलात्कार की पुष्टि पीएमसीएच(पटना मेडिकल कालेज एवं हॉस्पिटल) के डॉक्टरों की टीम द्वारा हो चुकी है। बलिकागृह के संचालक ब्रजेश ठाकुर एवं बलिकागृह के 7 अन्य कर्मियों के साथ बाल कल्याण समिति के सदस्य विकास कुमार एवं मुजफ्फरपुर के बाल संरक्षण पदाधिकारी रवि रौशन(कुल 10) की गिरफ्तारी हो चुकी है। बाल कल्याण समिति , के अध्यक्ष, दिलीप वर्मा, जिन्हें फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट का अधिकार है की गिरफ्तारी के लिए पुलिस लम्बे समय से कोशिश कर रही है।
सामाजिक कार्यकर्ता संतोष कुमार |
इस बीच कई सवाल उठ रहे हैं. सवाल है कि क्या इस मामले की जांच का हस्र सृजन घोटाले की जांच जैसा ही हो जायेगा? विपक्ष की मांगों के बावजूद सरकार सीबीआई जांच से क्यों घबड़ा रही है? सवाल शहर से भी है कि इन मासूम बच्चियों के लिए वह इतना उद्द्वेलित क्यों नहीं जितना कभी गोलू अपहरण कांड के लिए हुआ था? कहा यह भी जा रहा है कि ऐसे मामले राज्य के अन्य जिलों में भी हो सकते हैं. आज बिहार विधानपरिषद में प्रतिपक्ष की नेता राबड़ी देवी ने सीबीआई जांच की मांग उठायी, सवाल है कि क्या विपक्ष इसे बच्चियों को न्याय मिलने तक मुद्दा बना सकेगा?
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