मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में बच्चियों से बलात्कार मामले की जांच पर मीडिया रिपोर्टिंग पर प्रतिबंध लगाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और सीबीआइ को नोटिस जारी कर उसका जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने पटना उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर की गई याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की। हालांकि सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मीडिया की भूमिका पर भी सवाल खड़े किये। 18 तारीख तक नोटिस का जवाब मांगते हुए कोर्ट ने दो सदस्यों को नामित किया कि वे बिहार सरकार को मीडिया गाइडलाइन बनाने में मदद करें- सदस्य हैं, शेखर नफाड़े और अपर्णा भट्ट। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट द्वारा बच्चियों से बातचीत करने के लिए नियुक्त कोर्ट के प्रतिनिधि प्रकृति शर्मा की नियुक्ति पर भी रोक लगा दी है।
मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में नाबालिग बच्चियों के साथ कथित रूप से बलात्कार और यौन शोषण किया गया था। मामले के खुलासे के बाद इसकी जांच की जिम्मा सीबीआइ को सौंपा गया था, जिसकी पटना हाइकोर्ट जांच की मॉनिटरिंग कर रहा है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी स्वतः संज्ञान भी लिया था। पढ़ें स्त्रीकाल में सम्बन्धित रिपोर्ट:
1. बिहार में बच्चियों के यौनशोषण के मामले का सच क्या बाहर आ पायेगा?
2. बच्चों के यौन उत्पीड़न मामले को दबाने, साक्ष्यों को नष्ट करने की बहुत कोशिश हुई: एडवोकेट अलका वर्मा
3. उस बलात्कारी की क्रूर हँसी को, क्षणिक ही सही, मैंने रोक दिया: प्रिया राज
याचिकाकर्ता निवेदिता ( वरिष्ठ पत्रकार और स्त्रीकाल के सम्पादन मंडल की सदस्य) की याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने राज्य सरकार और केंद्रीय जांच ब्यूरो से 18 सितंबर से पहले जवाब मांगा है । याचिकाकर्ता की ओर से ऐडवोकेट फौज़िया शकील मामले की पैरवी कर रही हैं.
इस मामले में कुछ गिरफ्तारियाँ हुई हैं और राज्य सरकार के मंत्रियों की भूमिका भी इस मामले में संदिग्ध रही है.
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