सुशील मानव
केंद्र की भाजपा सरकार की लापरवाही और उदासीनता के कारण हमेशा विवादों में रहने वाले हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा, में न सिर्फ संवैधानिक संकट खड़ा हो गया बल्कि वहां प्रशासन पर छात्राओं की आपत्तिजनक तस्वीरें रखने का आरोप भी लग रहा है. उधर बीएड के विद्यार्थियों का विरोध प्रदर्शन परिसर में जारी है, क्योंकि दो सालों का समय और पैसे बर्बाद करने के बाद उन्हें पता चला है कि उनके कोर्स को मान्यता नहीं है.
खबर लिखे जाने तक विश्वविद्यालय का कुलपति कार्यालय खाली है. कुलपति प्रोफेसर गिरीश्वर मिश्र का कार्यकाल 4 मार्च 2019 को ही समाप्त हो गया था और नियम से उन्हें चार मार्च की शाम छः बजे तक अपना प्रभार दे देना था, लेकिन वे उसके बाद भी इस प्रत्याशा में कि उन्हें कार्य विस्तार मिल जायेगा अकादमिक कौंसिल की बैठक करते रहे. उनके सेवा विस्तार का कोई पत्र विश्वविद्यालय में आज शाम छः बजे तक मंत्रालय से नहीं आया है और विश्वविद्यालय के सूत्र बता रहे हैं कि कुलपति ने कहा है कि मंत्रालय से उन्हें मौखिक आदेश है कि वे परिसर न छोड़ें और किसी को प्रभार भी न दें.
सरकार के मंत्री प्रकाश जावेडकर का हाल यह है कि वे अन्य-अन्य मामलों पर प्रेस में प्रकट होते रहते हैं लेकिन उनके जिम्मे के मंत्रालय की फाइलें पेंडिंग पड़ी हैं. मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार मंत्रालय में एक ओर वर्तमान कुलपति प्रोफेसर गिरीश्वर मिश्र के सेवा विस्तार की नोटशीट अपने अंतिम चरण में है और सक्षम प्राधिकारी के हताक्षर के लिए पेंडिंग है वहीं नये कुलपति की नियुक्ति की फ़ाइल भी मूव कर रही है, जिनमें से दो का विजिलेंस अभी तक पेंडिंग है.
ऐसी असंवैधानिक स्थिति में एक ओर विश्वविद्यालय में कुलपति विहीन प्रशासन है और सेवानिवृत्त कुलपति अकादमिक कौंसिल की बैठके कर रहा है तो दूसरी ओर विश्वविद्यालय की छात्राएं अपने प्रॉक्टर और विश्वविद्यालय प्रशासन पर आरोप लगा रही हैं कि उनका आपत्तिजनक वीडियो होने की धमकी प्रॉक्टर प्रोफेसर मनोज कुमार दे रहे हैं. गौरतलब है कि किसी कुलपति के न होने पर जल्द ही प्रोफेसर मनोज कुमार सबसे वरिष्ठ प्रोफेसर के रूप में कुलपटी का प्रभार संभालेंगे.
आपत्तिजनक वीडियो का आरोप लगाती एक शोधार्थी का फेसबुक पोस्ट
यह शायद हिंदी विश्वव विद्यालय वर्धा का दुर्भाग्य ही है कि ये हमेशा ही किसी न किसी ताप में सुलगता ही रहता है। अभी एक नया मुआमला जल्दी ही सामने आया है। करीब 120 या 130 लड़कियों और कैंपस के कार्यकर्ताओं के सामने विश्वसविद्यालय प्रशासन ने स्वीनकारा है कि उसके पास गर्ल्से हॉस्टल के लगभग 25 वीडियो क्लिप हैं जो आपत्तिजनक हैं । ये कहना है यूनिवर्सिटी के प्रॉक्टयर का। और ये सारे आपत्तिजनक वीडियो डिप्टीो प्रॉक्टर के पास सुरक्षित हैं। यह कोई छोटी बात नहीं, मानवाधिकार का हनन है। सवाल ये कि विश्वनविद्वयालय प्रशासन का छात्रावास में चोरी छिपे ताक झांक करने के पीछे मक़सद क्याा है? और ये वीडिओ छात्रावास से जारी कैसे हुए? यह एक जघन्यस अपराध है। प्रशासन पर इसकी जवाबदेही है। प्रशासन पर छात्राओं की सुरक्षा की जिम्मेेदारी है, वीडिओ क्लिप बनाने की नहीं। दूसरी बात ऐसे गंभीर मसले पर छात्रावास में जब डिप्टीर प्रॉक्ट्रर द्वारा मीटिंग रखी जाती है तो बगैर छात्रावास अधीक्षिका की अनुमति और सहमति के। छात्राओं ने प्रशासन से वो वीडिओ दिखाने की मांग की तो टाल दिया गया। इसपर कार्यवाही करने के लिए छात्राओं ने मांग की तो भी टाला जाता रहा। नतीजतन, जल्दी ही उक्त छात्राएं एक कड़ा रूख लेते हुए कानून का सहारा लेने जा रही हैं। जहां प्रशासन को ये तो बताना पड़ेगा कि वो आपत्तिजनक वीडिओ किस मकसद से हासिल किए गए प्रशासन द्वारा।
हुस्न तबस्सुम
हालांकि इस मसले पर अभी तक किसी छात्रा ने कोई मामला दर्ज नहीं कराया है. उधर विश्वविद्यालय के शिक्षक भी बोलने से कतरा रहे हैं क्योंकि प्रॉक्टर को ही कुलपति का प्रभार मिलने वाला है.
बीएड के विद्यार्थी धरने पर, उनके साथ हुए धोखे की सजा आखिर किसे मिलेगी?
उधर विश्वविद्यालय परिसर में बीएड के विद्यार्थी धरने पर बैठे हैं. दो साल और काफी पैसे खर्च करने के बाद उन्हें पता चला है कि उन्होंने जो डिग्री ली है, उसे मान्यता नहीं है. गौरतलब है कि विश्वविद्यालय ने जब एनसीटीई से बिना मान्यता के यहाँ बीएड की पढाई शुरू की थी तो वहां के पूर्व छात्र-नेताओं राजीव सुमन, संजीव चन्दन ने आपत्ति की थी और एनसीटीई की दखल से कोर्स शुरू नहीं हुआ था. लेकिन कुलपति द्वारा अपने लोगों की इस विभाग में नियुक्ति किये जाने बाद उन्हें वहां बनाये रखना तबतक मुमकीन नहीं था जब तक कोर्स शुरू न हो. अपने लोगों की नियुक्ति बनाये रखने के लिए कुलपति ने एक अवैध कोर्स चलाकर विद्यार्थियों के साथ धोखा किया और अब सेवानिवृत्त होकर कार्य विस्तार की मांग कर रहे हैं.