यह पत्र उस बच्ची का है जो अपने शिक्षक द्वारा किये गए यौन शोषण की घटना को हिम्मत के साथ हम सबसे साझा कर रही है….ऐसे वक़्त में उस पिता के प्रति सहानुभूति और संवेदना प्रकट करते हैं जो अपनी बेटी के निर्णय के साथ खड़े ही नहीं हैं बल्कि सोशल मीडिया पर अपनी बेटी के अपील को भी साझा कर रहे हैं! यह पत्र अंग्रेजी में इन्स्टाग्राम पर लिखा गया था जिसे संध्या नवोदिता ने अनुवाद किया और बच्ची के पिता ने फेसबुक पर शेयर किया है.
मुझे याद है मुझे हमेशा बड़ों की इज़्ज़त करना सिखाया गया। ‘बड़े हैं’ यह कहकर यह उन्हें गैर जरूरी सम्मान दिया जाता है। हमारे माता पिता ने हमें अजनबियों से कुछ भी लेने से मना किया, जिन लड़कों से हम मिलते थे, उनसे सावधान रहने को कहा, लेकिन जिस व्यक्ति ने मेरा बचपन छीन लिया वह व्यक्ति वो था जिस पर मेरे माता पिता ने मुझे पढ़ाने के लिए भरोसा किया। मैं गणित में हमेशा से कमजोर थी और मुझे अच्छा ग्रेड चाहिए था, इसके लिए वह आया था – सफेद पूरी बाँह की शर्ट, फॉर्मल पैंट, अजीब सी मुस्कान और चोरों वाली चाल ढाल।
उसने बारह साल की बच्ची का कई तरह से ब्रेन वाश करना शुरू किया। अगर आप ‘ग्रूमिंग’ टर्म जानते हों तो यह उसका क्लासिक केस है। यह आदमी पचास साल का प्रौढ़ था, मतलब ऐसा जिस पर आप उसकी उम्र के नाते भी सहज भरोसा कर लेंगे।
आगे घटना ऐसे बढ़ी कि मैं बाथरूम में उल्टियाँ कर रही थी क्योंकि उसने मेरे ऊपर इस तरह सेक्सुअल एसॉल्ट किया था कि मैं उस घटना को दोहराना भी नहीं चाहती। यह सब वह दो महीने तक करता रहा, जब तक कि किसी घटनावश उसे ट्यूशन से हटा नहीं दिया गया।
मेरी कहानी जटिल, उलझी हुई और खून में सनी हुई है। इसमें खून से दस्तखत किए हुए पत्र हैं, बाइबिल पर हाथ रखकर खाई हुई कसमें हैं और किसी को बताने पर आत्महत्या की धमकियाँ हैं। उसका नाम सुनील दुआ है जिसने अपने गन्दे स्पर्श और घिनौनी नजरों से मेरा बचपन बरबाद किया। यहाँ तक कि अब मैं किसी लड़के को नहीं चूम सकती क्योंकि मेरे सामने उसका गन्दा चेहरा आ जाता है। अब मेरे लिए चुम्बन किसी कविता की तरह सुंदर नहीं हो सकता, हो ही नहीं सकता।
इन बातों को पाँच साल बीत चुके हैं। लेकिन मैं आज भी बेहद यन्त्रणा में हूँ। मैं उन छोटी बच्चियों के प्रति जिम्मेदारी महसूस करती हूँ जो आगे इस व्यक्ति के घिनौनेपन का शिकार बन सकती हैं।
अगर मेरी इस बात से किसी को लगता है कि मैं अटेंशन सीकर हूँ तो वह मुझे तुरन्त अमित्र और ब्लॉक कर दें।
दोषी व्यक्ति आज भी अशोक नगर और जार्ज टाउन में क्लास ले रहा है, एल चिको जा रहा है, सामान्य जिंदगी जी रहा है , जैसे कि ज़्यादातर यौन हमलावर करते हैं।
मैं ईश्वर से प्रार्थना करती हूँ कि उसे सजा मिले। मैंने सालों तक अपना मुँह बन्द रखा। लेकिन अब समय आ गया है। दोस्तो, मैं अपनी बेड़ियों को तोड़ूँ और आपके सामने वह क्रोध ज़ाहिर होने दूँ जो मैंने अब तक दबा रखा था।’
-शाम्भवी नागर