हम महिला संगठन हमारे भविष्य के सांसदों द्वारा इन दिनों दिये गये पितृसत्तात्मक और असभ्य भाषणों की निंदा करते हैं। देश में आधे मतदाता महिलायें हैं और सार्वजनिक मंचों पर राजनीतिक नेताओं द्वारा जेंडर आधारित गालियाँ हमारे देश, संस्कृति और हमारी आबादी के एक पूरे हिस्से को नुकसान पहुंचाती हैं। हम आयोग से उम्मीदवारों को चेतावनी देने का अनुरोध करते हैं कि भले ही उनके पास बात करने के लिए कुछ भी ठोस न हो, लेकिन जेंडर आधारित व्यक्तिगत हमले स्वीकार्य लोकतांत्रिक मानदंड नहीं हो सकते हैं।
हम सभी राजनीतिक पार्टी के अध्यक्षों से अनुरोध करते हैं कि वे अपने उम्मीदवारों को अपने भाषणों और सभाओं में ऐसी असंसदीय भाषा का उपयोग करने से परहेज करने की सलाह दें। अपने विरोधियों की माँ को गालियाँ उम्मीदवार, पार्टी की छवि के खिलाफ तो है ही वे हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए एक बहुत बुरा उदाहरण पेश करती हैं।
हम चुनाव आयोग से इस पर त्वरित संज्ञान लेने का अनुरोध करते हैं और तत्काल प्रभाव से आदर्श आचार संहिता के नियमों के अनुसार निर्णय का भी अनुरोध करते हैं। हमें यकीन है कि चुनाव आयोग ऐसी भाषा के उपयोग के कारण राजनीतिक संस्कृति के पतन पर ध्यान देगा। यह कदम एक मजबूत संदेश देगा।
इस पर निगरानी के लिए हम आयोग को उच्च स्तर पर एक अधिकारी, खासकर महिला अधिकारी नियुक्त करने का आग्रह करते हैं, । आयोग ने अधिक से अधिक महिला मतदाताओं को चुनावी भूमिका में लाने में बहुत ही सराहनीय प्रयास किया है। अब यह उनका कर्तव्य बन जाता है कि वे महिला उम्मीदवारों को एक सुखद वातावरण दें और अहसास दें कि उनका इस प्रक्रिया में स्वागत है।