आसिफा (कठुआ) के बलात्कारियों को आजीवन कारावास (मृत्यु पर्यंत): अभियोजन पक्ष फांसी के लिए करेगा अपील

2018 में जम्मू-कश्मीर के कठुआ में नोमैड समुदाय की आठ साल की एक लड़की (आसिफा) से एक मंदिर परिसर में बलात्कार और फिर उसकी हत्या कर दिए जाने के मामले में एक पाटियाला की विशेष अदालत ने सोमवार को तीन मुख्य आरोपी सांजीराम और उसके भतीजे प्रवेश कुमार तथा दीपक खजुरिया को आजीवन कारावास की सजा सुनायी है। हालांकि सांजीराम के बेटे (सातवें आरोपी) विशाल को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया।साक्ष्य मिटाने के आरोपी पुलिस वालों को एसआई आनंद दत्ता, हेड कांस्टेबल तिलक राज और स्पेशल पुलिस अफसर सुरेन्द्र वर्मा को 5 सालों की सजा सुनायी गयी है।

मामले में बंद कमरे में हुई सुनवाई तीन जून को पूरी हुई थी और सोमवार की सुभ छः आरोपियों को दोषी सिद्ध कर दिया गया था। इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। आरोपपत्र के अनुसार, पिछले साल 10 जनवरी को अगवा की गई आठ साल की बच्ची को कठुआ जिले में एक गांव के मंदिर में बंधक बनाकर रखा गया और उससे दुष्कर्म किया गया। उसे जान से मारने से पहले चार दिन तक बेहोश कर रखा गया।

मुख्य अभियुक्त सांजीराम को ले जाती पुलिस

इस घटना के सामने आने के बाद जहाँ देश भर में आक्रोश फूट पड़ा था वहीं राज्य में तत्कालीन सरकार में शामिल भारतीय जनता पार्टी के दो मंत्रियों ने बलात्कारियों के पक्ष में प्रदर्शन किये. जम्मू के बार असोसिएशन ने मामले में चार्जशीट दाखिल होने नहीं दी थी तो मामले की सुनवाई के लिए जम्मू से करीब 100 किलोमीटर और कठुआ से 30 किलोमीटर दूर पड़ोसी राज्य पंजाब के पठानकोट में जिला एवं सत्र अदालत में केस ट्रांसफर कर दिया गया था। उच्चतम न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई जम्मू कश्मीर से बाहर किए जाने का आदेश दिया था। पटियाला में मामले की सुनवाई जिला और सत्र न्यायाधीश तेजविंदर सिंह ने किया।

हिन्दू एकता मंच के लोग बलात्कारियों के पक्ष में रैली करते हुए जिसका नेतृत्व भाजपा के मंत्री ने किया था, तस्वीर द वायर से साभार

जम्मू में आसिफा की वकील दीपिका सिंह राजावत को काफी परेशान किया गया था, उन्हें बलात्कार की धमकियां दी गयी थीं। पिछले साल पीड़िता के परिवार ने उनसे केस वापस लिया था। एडवोकेट मुबीन फ़ारूकी ने आगे इस मामले में पैरवी की। मामले के अभियोजन पक्ष में जेजे चोपड़ा, एसएस बसरा और हरमिंदर सिंह शामिल थे । उनके अनुसार वे अभियुक्तों की फांसी के लिए और निर्दोष करार दिए गये सातवें अभियुक्त को सजा दिलाने के लिए आगे अपील करेंगे. फिलहाल वे जजमेंट का अध्ययन कर आगे बढ़ेंगे। अभियुक्तों में एक नाबालिग के खिलाफ मामले की सुनवाई अभी बाकी है, क्योंकि उसकी उम्र का निर्णय जम्मू उच्च न्यायालय को करना है ।

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