नई दिल्ली, 28 मई, विश्व माहवारी-स्वच्छता दिवस पर बिहार निवास में पेड पीरियड लीव (सवैतनिक माहवारी अवकाश) पर एक विचार गोष्ठी हुई एवं इस अवसर पर पेड पीरियड लीव की मांग को प्रोमोट करने के लिए एक गाने को भी रिलीज किया गया। ‘पेड पीरियड लीव’ गाने का लेखक और उसके फिल्मांकन का निदेशक सुमन्त यादव हैं तथा गायक होमेन्द्र भारती और दीक्षा धनगर हैं। इसे मयारू स्टूडियो ने प्रोड्यूस किया है। इसे 28 मई को ब्रॉडकास्ट रिलीज खबर लोक चैनल ने किया।
गौरतलब है कि बिहार पहला राज्य है जहां 1992 में दो दिवसीय सवैतनिक पीरियड अवकाश घोषित की गयी थी। महिला संगठनों की मांग पर सरकारी महिलाकर्मियों के लिए महीने में दो दिन के विशेष अवकाश की व्यवस्था तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने की थी।
ओडिशा के संबलपुर की रहने वाली कानून की पढ़ाई कर चुकी रंजीता प्रियदर्शिनी ने अपनी नौकरी छोड़कर पेड पीरियड अभियान शुरू किया है। रंजीता ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, मणिपुर, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, पुडुचेरी व झारखंड समेत अन्य कई राज्यों के नेताओं से मुलाकात कर पेड पीरियड लीव लागू करवाने के लिए ज्ञापन दे चुकी है।कामकाजी महिलाओं को पेड पीरियड लीव की सुविधा मुहैया करवाने के लिए वह केंद्रीय मंत्रियों से भी मिलती रही हैं।
रंजीता के अभियान ने कई निजी कंपनियों में पेड पीरियड लीव लागू कराया है। रंजीता लंबे दौर तक कॉरपोरेट में एचआर में काम कर चुकी हैं और अपने काम के लिए नेशनल सम्मानों से सम्मानित भी हैं।
उनकी पहल पर बिहार निवास में गोष्ठी का आयोजन किया गया।
मुख्य अतिथि थे विधायक ललन कुमार, जिन्होंने बिहार विधानसभा में बजट सत्र में यह मांग उठाई कि निजी क्षेत्रों में भी यह छुट्टी मिले।
हालांकि जिस दिन विधायक ने यह मांग की उसके दूसरे दिन ही बिहार में ठेके पर कार्यरत महिला कर्मियों को पेड माहवारी लीव की सुविधा से वंचित कर दिया गया था। जिसका व्यापक विरोध हुआ।
इस पृष्ठभूमि में बिहार निवास में हुई गोष्ठी बेहद महत्वपूर्ण है। पेड पीरियड लीव के लिए गाने को रिलीज करने के बाद इस पर इसी नाम से फ़िल्म बनाने की घोषणा भी पेड पीरियड गाने के निदेशक सुमन्त यादव ने किया।
इस अवसर पर स्त्रीकाल के सम्पादक संजीव चंदन , छत्तीसगढ़ में सीआरपीएफ बोर्ड मेम्बर, डा. आशा, सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता अनिता महापात्रा आदि वक्ताओं ने पेड लीव की आवश्यकता पर बात की और इस अभियान को समर्थन दिया।
वक्ताओं ने इस अभियान को एक व्यक्ति के रूप में महिलाओं को स्वीकार किये जाने का एक अभियान और प्रसंग बताया। माहवारी महिला स्वास्थ्य से जुड़ा मामला है और उनके रिप्रोडक्टिव राइट्स से भी।
रंजीता जुनून और जज्बे व समझदारी से काम पर लगी है। यह गोष्ठी उसी शाम हुई जब भारतीय रिपब्लिक की विदेश मंत्री निर्मला सीतारामन भगवाधारी पंडितों से दूर खड़ी होने के लिए विवश की गयीं-वजह साफ है। स्त्रियां माहवारी के कारण अछूत हैं इन पंडितों के लिए।
रंजीता जहां एक ओर पेड लीव के लिए आर्टिकल 15 के रेफरेंस से राजनीतिक हस्तक्षेप के जरिये पहल चाहती हैं। वे उस देश में बोल रही हैं जहां देश की एक विधानसभा माहवारी की छुट्टी पर बात करने से इसलिए इनकार कर देती है कि ऐसे अपवित्र विषय के लिए विधानसभा नहीं है।
रंजीता प्रियदर्शिनी के अभियान को सपोर्ट करने के लिए चेंज डॉट ओरजी पर उन्हें समर्थन दें।
कार्यक्रम में कई साहित्यकार, संस्कृतिकर्मी, सोशल एक्टिविस्ट शामिल हुए।
रंजीता जल्द बिहार में लालू प्रसाद जी और माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी व अन्य नेताओं से मिलकर अपने अभियान को गति देने वाली हैं।