अस्सी प्रतिशत स्त्रियों की कथा
पीढ़ा घिसता है तो पीढ़ी बनती है
तनाव-क्षेत्र में महिलाओं को नज़रअंदाज करने से समाज का नुकसान
उत्तराखंड समान नागरिक संहिता पर महिलाओं की आपत्तियां
विद्रोह की मशाल है सावित्रीबाई फुले की कविताएं
प्रेमा झा की कविताएँ
निराला की कविता में स्त्री मुक्ति का स्वर
नीलम मैदीरत्ता ‘गुँचा’ की कविताएँ
मै ही हूँ मैला आंचल में डाक्टर ममता: लतिका
उमा झुनझुनवाला की कविताएं
सेक्सिज़्म भाषा के ढाँचे में नहीं, लेखक के अन्तर्मन में होता है: आख़िरी क़िस्त
धूमिल और स्त्री : अर्थात् वक़्त की चैकी पर बैठा अधेड़ मुंशी: पहली क़िस्त
भारतीय पुलिस-तंत्र में महिलाओं की स्थिति: ‘गुनाह-बेगुनाह’ उपन्यास के विशेष सन्दर्भ में- केएम प्रतिभा