अस्सी प्रतिशत स्त्रियों की कथा
पीढ़ा घिसता है तो पीढ़ी बनती है
तनाव-क्षेत्र में महिलाओं को नज़रअंदाज करने से समाज का नुकसान
उत्तराखंड समान नागरिक संहिता पर महिलाओं की आपत्तियां
बिहार और जातिवाद का इतिहास ‘दिनकर’ की कलम से:
1990 के बाद का हिंदी समाज और अद्विज हिंदी लेखन
हिन्दी साहित्य में अस्मितामूलक विमर्श विशेष संदर्भःस्त्री अस्मिता
देश के मर्दों एक होओ
जाति पर डाका : हिंदी साहित्य में जातिविमर्श
पेंटिंग में माँ को खोजते फ़िदा हुसेन
यौन हिंसा और न्याय की मर्दवादी भाषा:- आख़िरी क़िस्त
उपभोक्तावादी आधुनिकता की आजादी के बीच स्त्री
भारतीय पुलिस-तंत्र में महिलाओं की स्थिति: ‘गुनाह-बेगुनाह’ उपन्यास के विशेष सन्दर्भ में- केएम प्रतिभा