कथाकार राजेन्द्र सजल के कथा संग्रह ‘अंतिम रामलीला’ पर परिचर्चा
रिपोर्ट प्रस्तुति – अरुण कुमार
आम्बेडकरवादी लेखक मंच के तत्वावधान में दिनांक 7 अगस्त 2022 को राजेंद्र सजल...
बहुरिया रामस्वरूप देवी
प्रियंका प्रियदर्शिनी
बिहार बलिदान की वह ऐतिहासिक धरती है जिसने जंग-ए-आज़ादी में ईंट का जबाब पत्थर से दिया है। आज़ादी के दीवानों ने गांधी के...
हिन्दी नवजागरण और स्त्री प्रश्न
सुरेश कुमार
वास्तव में देखा जाए तो बीसवीं सदी का दूसरा और तीसरा दशक अस्मितावादी सरगर्मी से भरा रहा है। इस दशक में जहां हिन्दी लेखकों...
राहुल की यात्रा क्या राजनीति का स्त्रीकरण कर रही है?
संजीव चंदन
महात्मा गांधी ने भारत में पहली बार राजनीति का स्त्रीकरण किया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में गांधी के 2015 में भारत लौटने से पहले भी स्त्रियां थीं, लेकिन उनकी संख्या बेहद नगण्य थी और उनमें से ज्यादातर उच्च वर्ग की महिलायें थीं। ऐसा भी नहीं था कि उच्च वर्ग की इन महिलाओं कोई योगदान नहीं किया अपने बाद की पीढ़ी के लिए राजनीतिक स्पेस तैयार करने में। वे बेहद प्रतिभा सम्पन्न महिलाएं थीं। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा के पक्ष में प्रयास किये और महिलाओं का मताधिकार पाने में इन्होने सफलता पायी थी। मताधिकार और चुनाव लड़ने का अधिकार।
राजनीति में महिलाओं के लिए व्यापक स्पेस, माहौल बनाने में महात्मा गांधी के राजनीतिक सिद्धांत ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। गांधी जब भारत में सक्रिय नहीं हुए थे तभी रवींद्रनाथ टैगोर का उपन्यास 1916 में आया था ‘घरे/ बाइयरे’।
उपन्यास की नायिका बिमला घर के चौखटे से बाहर आकर स्वदेशी आंदोलन में हिस्सा लेती है। बंगाली महिलाओं ने उपनिवेश विरोधी सशस्त्र आंदोलनों में हिस्सा लिया था, लेकिन बिमला ने अहिंसक प्रतिरोध का रास्ता चुना। राजनीति का अहिंसक वातावरण महिलाओं के अनुकूल होता है। गांधी ने अहिंसा, सत्याग्रह को राजनीतिक मूल्य बनाकर राजनीति को घरेलू महिलाओं के लिए भी अनुकूल किया। जिसके बाद सामान्य घरों से भी महिलाएं राजनीति में भागीदार हुईं। घर के चौखटे से बाहर निकलीं। इसे राजनीति के स्त्रीकरण की तरह देखा गया।
लगभग सौ साल बाद फिर से महिलाएं, युवा, बुजुर्ग, हर समूह से राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हैं। यह उस वक्त हो रहा है जब लोकसभा में आज अधिकतम 14 % महिलाएं हैं।। यह उस वक्त हो रहा है जब लोकसभा में आज अधिकतम 14 % महिलाएं हैं। कई राज्यों की विधानसभाओं में वह प्रतिशत और भी कम है। यह ऐसे समय में भी हो रहा है जब राजनीति को घिनौना, हिंसक, भ्रष्ट रूप में देखा जा रहा है। इसलिए, महिलाओं के लिए भारत जोड़ो यात्रा में चलने वाले ज्यादातर पुरुषों के साथ शामिल होना महत्वपूर्ण है, हालांकि 30 प्रतिशत महिलाएं इस यात्रा में शामिल बतायी जाती हैं।
राहुल गांधी के बारे में जो ख़बरें यात्रा से आ रही हैं या जो तस्वीरें बाहर आ रही हैं, उनका असर भारतीय राजनीति पर व्यापक होने वाला है। बशर्ते राहुल एक राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ इस दिशा में काम करते हैं। फिलहाल तो इन तस्वीरों से राजनीतिक स्पेस और भाषा के स्त्रीकरण की दूसरी परिघटना घट रही है भारतीय राजनीति में...