अस्सी प्रतिशत स्त्रियों की कथा
पीढ़ा घिसता है तो पीढ़ी बनती है
तनाव-क्षेत्र में महिलाओं को नज़रअंदाज करने से समाज का नुकसान
उत्तराखंड समान नागरिक संहिता पर महिलाओं की आपत्तियां
पंखुरी सिन्हा की कविताएं (घास पटाने के मेरे बूट व अन्य)
कविता की प्रकृति ही है समय से आगे चलना
आबिदा (परिमला अम्बेकर की कहानी)
आम्रपाली ( रेनू यादव की कविताएं)
मध्यवर्गीय कामकाजी स्त्रियों के कशमकश भरी जिंदगी की कविताएं !
आज का स्त्रीलेखन सहज और ज्यादा आत्मविश्वासी है
वर्जिन : जयप्रकाश कर्दम की कहानी (आख़िरी क़िस्त)
मेरी माँ मेरा आदर्श..!
भारतीय पुलिस-तंत्र में महिलाओं की स्थिति: ‘गुनाह-बेगुनाह’ उपन्यास के विशेष सन्दर्भ में- केएम प्रतिभा