‘तेरी जमीं तेरा आसमां’ नामक 45 मिनट के वृत्तचित्र की थीम है ‘भारतीय नारी! तू आजाद कहां।’ इस फिल्म में विभिन्न क्षेत्रों की भारतीय महिलाएं चाहे वे सामान्य घरेलू महिलाएं हों या असाधारण काम करने वाली कोई स्त्री, शिक्षिकाएं हों या श्रमिक, छात्राएं हों या अधिवक्ता, आधी आबादी का आधा आकाश छेंकने वाली ये महिलाएं आपसे बात करती हैं। दर्शकों के साथ अपने अतीत और वर्तमान की यात्रा को साझा करते हुए वे बताती हैं कि उनके लिए अब और भविष्य में आजादी के मायने क्या हैं? वे बताती हैं कि कैसे पीडि़त अथवा संरक्षित की छवि से परे वे अपने आसपास होने वाले बेहतर और सकारात्मक बदलाव की कारक बनना चाहती हैं। यह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की औरतों की ज़ुबानी कही गई कहानी है, जहां पैदा होने वाली पूर्णा मालावत, कल्पना चावला और टीना डाबी अपने सपनों को न केवल पूरा कर सकीं बल्कि उन्होंने पूरा आकाश छू लिया।
शनिवार , 29 अप्रैल 2017, को यूनाइटेड स्टेटस में ‘ब्रैंडिज युनिवर्सिटी, बोस्टन’ के द हेलर स्कूल के एंफी थिएटर में इस फिल्म का पहला शो 12.15 मिनट पर होगा. जीवन गावंडे द्वारा निर्देशित, मनीषा बांगड़ की पटकथा और कांसेप्ट पर बनी बेहद कम बजट वाली इस फिल्म का निर्माण बामसेफ और एएएनए के कार्यकर्ताओं द्वारा दिए गए चंदे से किया गया है। पहले शो के अवसर पर मनीषा बांगड़ वहाँ उपस्थित होंगी. वे 30 अप्रैल को ‘ब्रैंडिज युनिवर्सिटी, बोस्टन’ में ‘पितृसत्ता और भारतीय स्त्रीवाद’ पर आयोजित सेमिनार में भी हिस्सा लेंगी.
देखें एक टीजर :
डॉ. मनीषा बांगड़ बामसेफ की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। वह देश में मूलनिवासी बहुजन की प्रमुख आयोजक हैं। वह पेशे से हेपटोलॉजिस्ट चिकित्सक हैं जो लीवर, गॉल ब्लैडर और पैंक्रियाज आदि से संबंधित शाखा है। डॉ. बांगड़ हैदराबाद स्थिति डेक्कन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइसेज में गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी और हेप्टोलॉजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर भी हैं। वह विभिन्न मीडिया पोर्टलों पर लिखती और बोलती रही हैं। बीते एक दशक के दौरान उनको कई प्रमुख राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों, शासकीय उद्यमों, मानवाधिकार और फुले-अंबेडकर की वैचारिकी वाले संस्थानों में बतौर वक्ता आमंत्रित किया गया है। इनमें संयुक्त राष्ट्र, इसरो, ओएनजीसी, नाल्को, जेएनयू, एचसीयू आदि प्रमुख हैं। इस दौरान उन्होंने लैंगिक समानता, स्वास्थ्य, विज्ञान और शिक्षा से लेकर जाति और फुले, पेरियार तथा आंबेडकर, राष्ट्र, राष्ट्रीयता और लोकतांत्रिक राष्ट्रवाद तक पर अपनी बात रखी।
जीवन गावंडे मूलनिवासी पब्लिकेशन ट्रस्ट के बोर्ड के सदस्य हैं। वह आवाज इंडिया टीवी के एक्ज्क्यूटिव प्रोड्यूसर और सब एडिटर भी हैं। उन्हें विभिन्न सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत से जुड़े मुद्दों और ख्यात व्यक्तित्त्वों के जीवन पर 90 वृत्तचित्र बनाने का श्रेय हासिल है। उनकी फिल्मों शिक्षा में षडयंत्र और संत रविदास को व्यापक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सराहना मिली। फिलहाल वह केरल और आंध्र प्रदेश में बौद्घ विरासत की खोज विषय से संबंधित एक वृत्त चित्र की योजना पर काम कर रहे हैं।