ऋचा सिंह
विषय- इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो रतन लाल हांगलू पर लगे आरोपों के संबंध में।
माननीय प्रधानमंत्री जी,
आपको पत्र द्वारा यह बताना चाहती हूं कि एम.जे अकबर जिनके अपने पद के बदले यौन उत्पीड़न की चर्चा आज सुर्खियां बनी हुई है, लोगों की उम्मीद है आपसे एम.जे अकबर पर कार्यवाही करते हुए आप जल्द ही उनका इस्तीफा लेंगे।
रतनलाल हंगलू |
पर इस पत्र के माध्यम से आपको यह बताना चाहती हूँ कि यह सिर्फ एक एमजे अकबर का किस्सा नहीं है। बल्कि ऐसे कई एमजे अकबर बड़े-बड़े संस्थानों, यूनिवर्सिटी के प्रमुख बने हुए हैं। हम जानते हैं कि महिलाओं के उपभोग की वस्तु समझने वाले लोग समाज में अलग रूपों में फैले हुए हैं। पर यह स्थिति बहुत ख़तरनाक हो जाती है जब पद के दुरुपयोग के बदले sexual Favours लेने वाले लोग संवैधानिक पदों पर, सावर्जनिक संस्थाओं पर, यूनिवर्सिटी, कालेजों में वहाँ के उच्च पदों पर बैठ जाते हैं या बिना जानकारी के ऐसे पदों पर लोगों को सरकार द्वारा नियुक्ति कर दिया जाता है, जहाँ से वह न सिर्फ अपने “पद क दुरपयोग करते हैं” बल्कि अपने को बचाने के लिये भी अपनी पॉवर का मिसयूज़ कर समाज में ग़लत संदेश देते हैं।
आपको यह पत्र लिखते वक़्त मैं मानसिक रूप से बेहद आहत हूं।
बचपन से हम लोगों ने यही सीखा था कि ग़लत के खिलाफ पूरी ईमानदारी से लड़ा जाना चाहिये, वह ग़लत व्यवस्था जो समाज को प्रभावित करती है, उसके खिलाफ़ आवाज़ उठाना हमारी सामाजिक ज़िम्मेदारी है।
बाबा साहब अम्बेडकर की वो लाइनें ” कि शिक्षित होने का मतलब सिर्फ डिग्री लेना नहीं है, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का हिस्सा बनना है”. “शिक्षित बनो, संगठित बनो, संघर्ष करो” इन पंक्तियों से हम युवा सिर्फ़ प्रेरणा ही नहीं लेते बल्कि संघर्ष के लिये प्रेरित भी होते हैं। परंतु हमारे इरादे , ग़लत के खिलाफ़ लड़ने के जज़्बे को उस वक़्त सबसे ज़्यादा ठेस लगती है, जब इस देश की सरकारें ग़लत के प्रति मौन हो जाती हैं, जब मंत्रालय ग़लत व्यक्ति के खिलाफ़ कार्यवाही करने के बजाय उसे बचाने में लग जाते हैं, और ग़लत व्यक्ति अपने पद का दुरूपयोग और ज़्यादा मज़बूती से करने लगता है।
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हम बेहद आहत हैं कि एक एम.जे अकबर हमारे पूरब का ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाले इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति रतन लाल हांगलू के रूप में वाइस चांसलर के पद पर बैठा हुआ है। आपके मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जब रतन लाल हांगलू को इलाहाबाद विश्वविद्यालय का कुलपति बनाकर भेजा गया तो कल्याणी विश्वविद्यालय में कुलपति रहने के दौरान उनके विवादों और अरोपों के जांच किये बिना कल्याणी विश्वविद्यालय से हटाते हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय भेज दिया गया। कल्याणी विश्वविद्यालय में रतन लाल हांगलू पर अपने पद का दुरुपयोग करते हुए लड़कियों को जॉब का लालच देने के आरोप लगते रहे, पर आपका मंत्रालय मौन रहा… या सिर्फ मौन नहीं रहा बल्कि ऐसी घटिया मानसिकता को संरक्षण देने का काम किया।
हम इलाहाबाद विश्वविद्यालय के बेहद ज़िम्मेदार शोध छात्र पिछले 1 महीने से रतन लाल हांगलू के “महिला विरोधी आचरण”, “पद के दुरपयोग”, “महिलाओं को चीज़ समझने” और “सेक्सुअल फेवर देने के बदले नौकरी” के आरोपों की जाँच और जांच न होने तक कुलपति के नैतिक आधार पर इस्तीफ़े के लिए आंदोलनरत हैं। लोकतांत्रिक रूप से अपने आंदोलन को चलाते हुए धरना , प्रदर्शन, प्रधानमंत्री कार्यालय, राष्ट्रपति भवन, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, गृह मंत्रालय को साक्ष्यों समेत अनेक पत्र लिखकर जांच की माँग करते रहे। पर अब तक मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा कोई क़दम नहीं उठाया गया। प्रधानमंत्री जी सिर्फ हम छात्र ही नहीं बल्कि शिक्षक संघ के अध्यक्षों और कई वरिष्ठ प्रोफेसरों समेत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति रहे माननीयों ने भी विश्वविद्यालय की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए इस पूरे मामले की मंत्रालय द्वारा गठित हाई पॉवर कमेटी से जाँच की माँग की ।
उत्तर प्रदेश के 3 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से एक सबसे महत्वपूर्ण विश्वविद्यालय जहाँ कुल छात्रों की संख्या 26 हज़ार है, जिसमें 12000 छात्राओं की संख्या है और उस संस्था के कुलपति के “महिलाओं को चीज़ समझने” का ऑडियो और ” सेक्सयूल फेवर के बदले जॉब” का वाट्सएप चैट टीवी खबरों, सोशल मीडिया औऱ समाचार पत्रों की प्रमुख ख़बर बना हुआ है। जिसके बाद हर क़ाबिल लड़की को संदेह की नज़रों से देखा जा रहा है वहीं दूसरी तरफ़ किसी भी शिक्षकों को लोग संदेह की नज़र से देख रहे हैं। छात्राओं के माँ- बाप लड़कियों को विश्वविद्यालय कम जाने और घर पर रहकर ही पढ़ने की सलाह दे रहें हैं.
प्रधानमंत्री जी आप कहते हैं “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” हम इस सवाल से लड़ रहे हैं कि ऐसे माहौल में जहां विश्वविद्यालय संस्था का प्रमुख महिलाओं को चीज़ समझता हो, ऐसे माहौल में ” कैसे पढ़ेंगी बेटियाँ और कैसे आगे बढ़ेंगी बेटियां”.
हम ग़लत के खिलाफ लड़ रहे हैं क्योंकि हमारे देश का क़ानून संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्तियों के लिये “कोड ऑफ कंडक्ट” को मान्यता देता है और बताता है कि एक ज़िम्मेदार पद पर रहकर आप क्या नहीं कर सकते हैं।
हम प्रोफ़ेसर रतन लाल हांगलू की “रसिया प्रवृत्ति” को विश्वविद्यालय परिसर में हावी न होने देने के लिये आंदोलनरत हैं। हमने कुलपति से भी अनुरोध किया कि वो अपना पक्ष स्पष्ट करें और साबित करें कि “यह अश्लील ऑडियो और वाट्सअप चैट” को डिसओन करें. पर वह अपने पद का पुनः दुरपयोग करते हुए अपने पद पर बने हैं और आपके “बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ” के नारे और ” कॉड ऑफ कंडक्ट” को धता बताते हुए पद पर बने हुए, कुछ अपने तरह की ही शिक्षकों और महिला विरोधी प्रवृति को परिसर में बढ़ावा देते हुए अपना स्वागत फूलों से करवा रहे हैं, स्वागत किस चीज़ का?? यह हमारी समझ से परे है।
हम और हमारे आंदोलनरत साथियों पर लोकतांत्रिक आंदोलन करने पर FIR करवा दी जा रही है। मुझे रोज़ मेरी पीएचडी निरस्त कर दिए जाने की धमकी विश्वविद्यालय से दी जाती है और पिछले एक साल से मेरी पीएचडी फेलोशिप को बंद कर दिया गया है। मैं मानसिक अवसाद में जाने की स्थिति में हूँ क्योंकि विश्वविद्यालय द्वारा नोटिस और पुलिस में निराधार FIR कर मेरे भविष्य को बर्बाद करने का प्रयास किया जा रहा है…. परिणामतः मुझे कुछ भी होता है तो उसकी ज़िम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन और प्रो रतन लाल हांगलू की होगी।
तमाम पत्रों और साक्ष्यों समेत शिकायतों के भेजे जाने के बावजूद मानव संसाधन विकास मंत्रालय की चुप्पी बेहद निराशाजनक है औऱ समाज और संस्थाओं के महिला विरोधी और महिलाओं की सुरक्षा और अस्मिता से खिलवाड़ करने वालों को बढ़ावा देने वाली है।
यह पत्र इस उम्मीद के साथ लिखा है और आपको फैक्स के माध्यम से भेजकर आपको इलाहाबाद विश्वविद्यालय की बेहद गंभीर स्थिति से अवगत ही कराना चाहती हूँ और कुलपति रतन लाल हांगलू पर जल्द ही कार्यवाही की अपेक्षा करती हूं जिससे परिसर में छात्राओं एवं महिला शिक्षक और महिला कर्मचारियों के अनुकूल माहौल का निर्माण हो सके और आने वाले दिनो मे विश्वविद्यालय को BHU जैसी घटना से बचाया जा सके।
भवदीय
ऋचा सिंह
शोध छात्रा, ग्लोबलाइजेशन स्टडीज
पूर्व एवं प्रथम निर्वाचित महिला अध्यक्ष, इलाहाबाद विश्वविद्यालय
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