अस्सी प्रतिशत स्त्रियों की कथा
पीढ़ा घिसता है तो पीढ़ी बनती है
तनाव-क्षेत्र में महिलाओं को नज़रअंदाज करने से समाज का नुकसान
उत्तराखंड समान नागरिक संहिता पर महिलाओं की आपत्तियां
समकालीन महिला लेखन को संबोधित संगोष्ठी
नाक की फुरूहुरी: सोनी पांडेय कहानी
‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ उपन्यास में प्रकृति चित्रण
पिंजरे की तीलियों से बाहर आती मैना की कुहुक
राष्ट्रवाद, विश्वविद्यालय और टैंक: संदीप मील की कहानी
बेड़ियाँ: अरविंद जैन की कहानी
क्रूर और हिंसक यथार्थ में प्रेम और करुणा को बचाये रखने की कोशिश है समकालीन स्त्री- कविता
भिखारी ठाकुर की तुलना शेक्सपियर से करना भिखारी ठाकुर का अपमान है
भारतीय पुलिस-तंत्र में महिलाओं की स्थिति: ‘गुनाह-बेगुनाह’ उपन्यास के विशेष सन्दर्भ में- केएम प्रतिभा