अस्सी प्रतिशत स्त्रियों की कथा
पीढ़ा घिसता है तो पीढ़ी बनती है
तनाव-क्षेत्र में महिलाओं को नज़रअंदाज करने से समाज का नुकसान
उत्तराखंड समान नागरिक संहिता पर महिलाओं की आपत्तियां
पुंसवादी आलोचना के खतरे और महादेवी वर्मा
हिन्दी पाठ्यपुस्तकों में स्त्री छवि
अरूणा शानबाग – आखिर कब तक???
स्त्री आत्मकथा – अस्मिता संघर्ष तथा आत्मनिर्भर स्त्री
समकालीन हिंदी आलोचना का स्त्री स्वर
उषा प्रियंवदा की कहानियों में स्त्री-अस्मिता का प्रश्न
‘डार्क रूम में बंद आदमी’ की निगाह में औरत : आखिरी क़िस्त
‘डार्क रूम में बंद आदमी’ की निगाह में औरत : पहली क़िस्त
भारतीय पुलिस-तंत्र में महिलाओं की स्थिति: ‘गुनाह-बेगुनाह’ उपन्यास के विशेष सन्दर्भ में- केएम प्रतिभा