अस्सी प्रतिशत स्त्रियों की कथा
पीढ़ा घिसता है तो पीढ़ी बनती है
तनाव-क्षेत्र में महिलाओं को नज़रअंदाज करने से समाज का नुकसान
उत्तराखंड समान नागरिक संहिता पर महिलाओं की आपत्तियां
क्या फिल्म-कलाकारों के भरोसे ही चुनाव जीता जायेगा!
भारतीय वामपंथियों का ‘कन्हैया सिन्ड्रोम.’!
बेगूसराय में मार्क्सवाद का अस्थि-पंजर:कन्हैया सिंड्रोम
सीपीआई-विधायक दल के पूर्व नेता ने पार्टी को कहा था लालू प्रसाद का पिछलग्गू
लूला से लालू तक: क्या बिहार और ब्राजील का एक ही पैमाना है!
बिहार- सियासत और लेनिनग्राद का मिथ
मध्यवर्गीय जीवन से संसद की यात्रा तक: भूतपूर्व केन्द्रीय मंत्री रीता वर्मा
एक बहुजन नेत्री की संभावनाएं : मनीषा बांगर
भारतीय पुलिस-तंत्र में महिलाओं की स्थिति: ‘गुनाह-बेगुनाह’ उपन्यास के विशेष सन्दर्भ में- केएम प्रतिभा